Wednesday, January 30, 2013

वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेनों का विकास

30-जनवरी-2013 12:58 IST
1975 में की गई थी भारत में डबल डेकर ट्रेनों की शुरूआत
विशेष लेख                                                                    रेल एच सी कुंवर* 
   भारत में डबल डेकर ट्रेनों की शुरूआत 1975 में की गई थी। उस समय इसका उद्देश्‍य कम दूरी की यात्री गाडियों में ज्‍यादा यात्रियों को ढोना था। भारतीय रेल के इस प्राथमिक लक्ष्‍य को तो प्राप्‍त कर लिया गया लेकिन ये गैर वातानुकूलित ट्रेन यात्रियों के बीच बहुत अधिक पसंद नहीं की गई। इसका प्रमुख कारण निचले स्‍तर से धुएं का प्रवेश और प्‍लेटफार्म स्‍तर की ऊँचाई पर बाहर के दृश्‍यों का न दिख पाना था। इस कारण भारतीय रेल में गैर वातानुकूलित ट्रेनों के विकास को और अधिक अनुकरित नहीं किया गया।
   अपने लंबे अनुभवों के साथ भारतीय रेल ने फिर एक बार डबल डेकर ट्रेनों को प्रारंभ् करने की योजना बनाई जिसमें गैर वातानुकूलित डब्‍बों में आ रही समस्‍याओं को वातानुकूलित रूप में दूर किया जा सके। रेल मंत्री ने वर्ष 2009 के रेल बजट में वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेनों की शुरूआत की घोषणा की।
   मौजूदा स्‍थाई ढांचों जैसे रोड ओवर ब्रिज, फुट ओवर ब्रिज और बिजली की लाइनों आदि को ध्‍यान में रखते हुए बिना ऊँचाई बढाये डबल डेकर ट्रेनों का विकास करना एक बडी चुनौती थी। इसके साथ ही वातानुकूलित उपकरणों और एयर डक्‍ट को भी उपलब्‍ध जगह में ही समाने की समस्‍या थी।
   इन चुनौतियों को ध्‍यान में रखते हुए भारतीय रेल के डिजाईन इंजीनियरों ने प्रत्‍येक कोच में और ज्‍यादा कोच और पूर्णता घरेलू स्‍तर पर ही इसके विकास की प्रक्रिया शुरू करी। उनकी कार्यकुशलता तब साबित हुई जब भारतीय रेल की एक उत्‍पादन ईकाई रेल कोच फैक्‍ट्री कपूरथला ने सिर्फ 9 महीने के रिकार्ड समय में पहला प्रोटो टाईप वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेन को तैयार कर लिया। सभी आवश्‍यक परीक्षणों को पूर्ण करने के बाद अक्‍तूबर 2011 में हावडा और धनबाद के बीच पहली वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेन की शुरूआत की गई।
   इस ट्रेन के एक उन्‍नत संस्‍करण का विकास कर जयपुर और दिल्‍ली तथा अहमदाबाद और मुम्‍बई के बीच इसकी सेवाएं प्रारंभ की गई। निकट भविष्‍य में हबीब गंज-इंदौर और चैन्‍नई-बंगलौर के बीच भी ऐसी सेवा प्रारंभ करने की योजना है। यात्रियों के अनुकूल डिजाईन के साथ वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेन प्रत्‍येक कोच में 120 यात्रियों को ले जा सकती है जो शताब्‍दी चेयर कार के 78 यात्रियों से तुलना करने पर 50 फीसदी अधिक है। अपने कम किराये के कारण वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेनों ने वातानुकूलित सफर का आनंद कई इच्‍छुक यात्रियों को दिलाने में सफल रही हैं और इस कारण यात्रियों के बीच बेहद पसंद की जा रही है।
   इन नई वातानुकूलित डिब्‍बों में कई तकनीकी खूबियां जैसे हल्‍के वज़न वाली स्‍टेनलेस स्‍टील बॉडी और आंखों को मोहने वाली भीतरी साज सज्‍जा हैं। एयर स्प्रिंग के साथ यूरो फिल्‍मा डिजाईन के डिब्‍बे से यात्रियों को सफर में बेहतर आराम मिलता है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक-दूसरे के ऊपर न चढने वाले  और दुर्घटना की स्थिति में इसको वहन करने वाले डिब्‍बे भी प्रदान किये गये हैं। इन डिजाईन के कारण प्रति या‍त्री ट्रेन पर कम भार पडता है जिससे वो उच्‍च ऊर्जा क्षमता वाले बन गये हैं।
   दो डिब्‍बों के बीच की दीवारों के स्‍थान का अधिकतम इस्‍तेमाल कर दोनों स्‍तरों के लिए स्‍थान का प्रबंध किया गया है। जिससे डिब्‍बों की कुल ऊँचाई सिर्फ 4.5 इंच बढी है। इन डिब्‍बों के विकास प्रक्रिया के दौरान नवीनतम डिजाईन सॉफ्टवेयरों का प्रयोग किया गया और वा‍स्‍तविक उत्‍पादन शुरू करने से पहले प्रोटो टाइपिंग कर इसकी जांच की गई।
वातानुकूलित डबल डेकर डिब्‍बों के सफल विकास से भारतीय रेल ने तकनीकी विकास में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। इससे रेलवे ने तीव्र गति से बढ रहे देश की आशाओं को परिपूर्ण करने की प्रतिबद्धता दोहराई है।(PIB)      (पत्र सूचना कार्यालय विशेष लेख)
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* उप-निदेशक (मीडिया एवं दूरसंचार), रेल मंत्रालय
मीणा/जुयाल/चन्‍द्रकला  – 30
एचडीएचओ –

Thursday, January 24, 2013

अनुमानित राजस्‍व 89906.46 करोड़ रुपये रहा

23-जनवरी-2013 14:50 IST
भारतीय रेलवे ने 2012 में हासिल किये नये मुकाम 
    प्रारंभिक आधार पर 01 अप्रैल से 31 दिसम्‍बर, 2012 के दौरान भारतीय रेलवे का कुल अनुमानित राजस्‍व 89906.46 करोड़ रुपये रहा, जबकि यह राशि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 75009.17 करोड़ रुपये था और इस प्रकार इसमें 19.86 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। माल ढुलाई से प्राप्‍त होने वाली आय 01 अप्रैल से 31 दिसम्‍बर, 2011 दौरान 49868.95 करोड़ रुपये रहा, जो  01 अप्रैल से 31 दिसम्‍बर, 2012 के अवधि के दौरान बढ़कर 62413.41 करोड़ रुपये हो गया और इस प्रकार इसमें 25.15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि यात्रि से प्राप्‍त होने वाली आय एक अप्रैल से 31 दिसम्‍बर, 2012 अवधि के दौरान पिछले वर्ष के इसी अवधि के दौरान प्राप्‍त आय 20999.01 करोड़ रुपये से बढ़कर 23025.34 करोड़ रुपये हो गया और इस प्रकार इसमें 9.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। कैलेंडर वर्ष 2012 के दौरान नवम्‍बर, 2012 तक भारतीय रेलवे ने कुल 3903.84 करोड़ रुपये की स्‍क्रैप की बिक्री की है, जबकि पिछले वर्ष के इसी अवधि के दौरान कुल बिक्री 3748.68 करोड़ रुपये की हुई है।
    अनुमानित कुल यात्रियों की बुकिंग 01 अप्रैल से 31 दिसम्‍बर, 2012 के अवधि के दौरान पिछले वर्ष के इसी अवधि के 6210.12 मिलियन की तुलना में 6422.29 मिलियन रहा। इस प्रकार इसमें 3.42 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई। भारतीय रेलवे ने अप्रैल से दिसम्‍बर, 2012 के अवधि के दौरान 735.10 मिलियन टन की माल ढुलाई की है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 703.77 मिलियन टन रही और इस प्रकार इसमें 31.33 मिलियन टन माल ढुलाई की वृद्धि हुई, जिससे 4.45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
    रेल मंत्रालय द्वारा उठाये गए ठोस कदम के तहत फरवरी, 2012 में विशेष प्रयोजन माध्‍यम (एस पी वी) भारतीय रेलवे स्‍टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीएल) की स्‍थापना एक समझौते के तहत की गई। इसका उद्देश्‍य देश में रेलवे स्‍टशनों के पुनर्विकास कार्य के साथ-साथ स्‍टेशनों का रख-रखाव करना है। इस नये एसपीवी के तहत चिन्हित स्‍टेशनों पर पर्याप्‍त स्‍थानयुक्‍त प्रतीक्षालय, पलेटफॉर्मों पर आसानी से पहुंचना तथा इसे भीड़-भाड़ से मुक्‍त बनाने के साथ-साथ उच्‍च स्‍तरीय खान-पान सुविधाओं सहित होटल और अन्‍य सुविधाओं का प्रस्‍ताव करना है। प्रारंभिक अध्‍ययन और क्षेत्रीय रेलवे के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद पांच स्‍टेशन -बिजवासन (दिल्‍ली), हबीबगंज (भोपाल), आनन्‍द विहार (दिल्‍ली), चंडीगढ़, शिवाजी नगर (पुणे) का चयन किया गया है, जहां कार्यान्‍वयन पहले चरण में आईआरएसडी के जरिए किया जाएगा।
     एक महत्‍वपूर्ण पहल के तहत वास्‍तविक और वैध यात्रियों की यात्रा को सुगम बनाने और आरक्षित  टिकट प्रणाली के दुरुपयोग में बिचौलियों तथा अवांछित तत्‍वों की भूमिका खत्‍म करने के लिए रेल मंत्रालय ने सभी आरक्षित टिकट श्रेणियों में या‍त्रा के दौरान पहचान पत्र का मूल प्रमाण पत्र रखना अब अनिवार्य कर दिया गया है। मूल पहचान प्रमाण पत्र के बिना यात्रा करने वाले लोगों को बे-टिकट समझा जाएगा और यात्रा के दौरान उचित प्रभार वसूला जाएगा। नीति में बदलाव लाने का उद्देश्‍य वास्‍तविक और वैध यात्रियों की यात्रा को सुगम बनाना और हस्तांतरित टिकटों पर यात्रा करने वालों की जांच करना है। इस नीति के प्रावधान को सुरक्षा व्‍यवस्‍था के लिए भी उपयोगी समझा जा रहा है।
    वर्ष 2012 के दौरान रेलवे के ढांचागत परियोजनाओं पर विशेष ध्‍यान दिया गया। नवम्‍बर, 2012 के अंतिम सप्‍ताह के दौरान प्रधानमंत्री के अध्‍यक्षता में संरचना पर हुई बैठक में समीक्षा के बाद महत्‍वपूर्ण संरचना परियोजनाएं जैसे- मुम्‍बई में एलिवेटेड रेल कॉरीडोर, सार्वजनिक - निजी भागीदारी के आधार पर लोकोमोटिव फैक्‍टरी, रेल टैरिफ प्राधिकरण तथा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर की स्‍थापना के लिए तय सीमा निर्धारित की गई है। इन मुद्दों पर रेलवे मंत्रालय द्वारा समयबद्ध कार्या योजना तैयार की गई है। मुम्‍बई विश्‍व में सबसे अधिक भीड़-भाड़ और दबाव वाले उपनगरीय प्रणालियों में से एक है। कॉरीडोर पर क्षमता दबाव को देखते हुए रेल मंत्रालय ने क्षमता प्रणाली का और विस्‍तार करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत चर्चगेट-वीरा सेक्‍शन के साथ एलिवेटेड कॉरीडोर को दो मार्ग का बनाना है। यह नया एलिवेटेड रेल कॉरीडोर (ईआरसी) ओवल मैदान और पश्चिमी रेलवे के विरार क्षेत्र में होगा। 63.27 किलोमीटर लंबे ईआरसी परियोजना पर लगभग 21,000 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। इस कॉरीडोर के तहत 26 स्‍टेशन बनाए जाएंगे, जिसमें पांच भूमिगत, 19 एलिवेटेड और दो ग्रेड पर स्थित होंगे।
    महत्‍वाकांक्षी और चुनौतीपूर्ण उधमपुर - बारामुला- श्रीनगर रेल लिंक परियोजना के बनिहाल-काजीगुंड खंड को पूरा कर भारतीय रेलवे ने परिवहन क्षेत्र में भी एक लंबी छलांग लगाई है। इस खंड पर ट्रायल शुरू कर दिया गया है, इस खंड पर सभी प्रमुख कार्य पूरे कर लिये गए हैं और इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह खंड जल्‍द ही शुरू कर दिया जाएगा और 17.729 किलोमीटर लंबी इस खंड पर 11.215 किलोमीटर लंबाई की सुरंग है, जिसे पीर पंजाल सुरंग कहा जाता है। यह सुरंग भारत में सबसे लं‍बी और एशिया की दूसरी सबसे लंबी परिवहन सुरंग है।
    इस वर्ष भारतीय रेलवे की महत्‍वाकांक्षी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर (डीएफसी) के कार्यान्‍वयन पर जोर दिया गया। मुम्‍बई में जवाहर लाल नेहरू पत्‍तन (जीएनपीटी) से नई दिल्‍ली के नजदीक दादरी/ तुगलकाबाद के बीच 1499 किलोमीटर लंबी पश्चिमी डीएफसी और पंजाब में लुधियाना से से कोलकाता के डानकुनी के बीच 1839 किलोमीटर लंबी पूर्वी डीएफसी नामक दोनों कॉरीडोर में काफी प्रगति आई है। भूमि अधिग्रहण में भी प्रगति देखी जा रही है और नवम्‍बर, 2012 तक कुल 10703 हेक्‍टेयर भूमि में से दोनों कॉरीडोर  के लिए 7768 हेक्‍टेयर भूमि अर्थात 73 प्रतिशत का अधिग्रहण किया जा चुका है। जेआईसीए के जरिए पश्चिमी डीएफसी के लिए प्रारंभिक वित्‍तीयन समझौता और विश्‍व बैंक के जरिए पूर्वी डीएफसी (लुधियान-खुरजा-कानपुर-मुगलसराय) के खंड के लिए वित्‍तीयन समझौते को अंतिम रूप दिया गया है, जबकि पूर्वी डीएफसी के डानकुनी - सोननगर खंड के लिए पीपीपी के जरिए कार्यान्‍वयन का प्रस्‍ताव किया गया है तथा पूर्वी डीएफसी के मुगलसराय- सोननगर खंड का क्रियान्‍वयन रेल मंत्रालय के संसाधन द्वारा किया जा रहा है।
    स्‍वच्‍छ भारत अभियान पर पर्यटन मंत्रालय और रेल मंत्रालय के बीच एक समझौता किया गया, जिसके तहत दोनों मंत्रालय मिलकर रेल यात्रियों के लिए सतत जागरुक अभियान की ओर कार्य करेंगे। साथ ही पर्यटन मंत्रालय के सेवा प्रदाता क्षमता निर्माण योजना के तहत सेवा प्रदान करने के लिए कार्य करेंगे तथा संबंधित हितधारकों से विचार-विमर्श और परामर्श कर स्‍टेशनों और कोचों की साफ-सफाई और उनके रखरखाव के लिए रणनीति तैयार करेंगे। इस बीच, रेल मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की है, जिसमें रेलवे परिसर में स्‍वच्‍छता और साफ-सफाई को प्रभावित करने वाले गतिविधियों को रोकने संबं‍धी नियम के साथ-साथ इन नियमों को तोड़ने वालों के खिलाफ जुर्माने का भी प्रावधान है, लेकिन जो कोई भी दिये गए नियमों के किसी भी प्रावधान का उल्‍लंघन नहीं करता है तो नियमों के तहत पांच सौ रुपये का जुर्माना किया जाएगा। 
           देश में डिजायन किए गए विकसित और विनिर्मित वातानुकूलित डबल डेकर रेलगाडियों को पहली बार हावड़ा और धनबाद के बीच चलाया गया। इस वर्ष इस रेलगाडी के डिजायन में और भी सुधार कर इसे विकसित किया गया है और जयपुर और दिल्ली तथा अहमदाबाद और मुंबई के बीच पेश किया गया है। निकट भविष्य में हबीबगंज-इंदौर और चेन्नई-बंगलौर के बीच इस तरह की सेवाओं की योजना तैयार की गई है। वातानुकूलित डबल डेकर रेलगाडी में प्रति कोच 120 यात्रियों की क्षमता है और यात्रियों के बीच यह लोकप्रिय हो रहा है।
     रेलवे बोर्ड के निरंतर प्रयासों और मंडलीय रेलवे के ऊर्जा संरक्षण प्रयासों से वर्ष 2012 के दौरान 773 आवेदनों के कुल 87 पुरस्कारों में से भारतीय रेलवे को सर्वाधिक 11 राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार प्राप्त हुए। 14 दिसंबर 2012 को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा यह प्रदान किया गया।
     भारतीय रेलवे ने सुरक्षा में वृद्धि के लिए निरंतर प्रयास किया है। रेलवे सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली (टीपीडब्ल्यूएस) को उत्तर/उत्तर मध्य रेलवे के हजरत निजामुद्दीन-आगरा मार्ग (200 किलोमीटर मार्ग) पर पायलट आधार पर विस्तृत किया गया है जहां कार्य प्रगति पर है। एसीडी और टीपीडब्ल्यूएस प्रणाली से प्राप्त अनुभव के आधार पर भारतीय रेलवे ने रेलगाडी टक्कर परिहार प्रणाली (टीसीएएस) के विकास का बीडा उठाया है। यह टीपीडब्ल्यूएस और एसीडी का मिश्रण होगा और खतरनाक स्थिति में सिग्नल देने और टक्कर को रोकने में कारगर होगा। अभिरुचि का हित आमंत्रित करने के बाद छह भारतीय फर्मों को चुना गया है। इनमें से एक फर्म ने प्रोटोटाइप का विकास किया है जिसका ट्रायल दक्षिण मध्य रेलवे में अक्तूबर 2012 को किया गया।
     रेलवे उपयोगकर्ताओं को और भी सहूलियत देने के लिए भारतीय रेलवे ने भारतीय रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) के जरिए मोबाइल फोन के द्वारा ई-टिकट आरक्षित करने की सुविधा मुहैया करा रहा है। शुरुआती पंजीकण और उपयुक्त सॉफ्टवेयर को मोबाइल पर डाउनलोड करके इंटरनेट सुविधा के साथ मोबाइल द्वारा टिकट आरक्षित करना काफी आसान है। बुकिंग के बाद यात्री को आरक्षण का संदेश टिकट के पूरे ब्यौरे जिसमें पीएनआर, रेलगाडी संख्या, यात्रा की तिथि और वर्ग आदि शामिल है, के साथ मिल जाता है। मुद्रित ई-टिकट से बेहतर समझा जाता है।
     अपने यात्रियों और कर्मचारियों को स्वच्छ माहौल उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता के सथ ही भारतीय रेलवे ने अपने पैंसेजर कोचों के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के साथ मिलकर पर्यावरण अनुकूल जैव-शौचालयों को विकसित किया है। इन जैव-शौचालयों में मानव मल बैक्टिरिया द्वारा उपचारित होता है जो कि मनुष्यों के लिए हितकर है। यह बैक्टिरिया मानव मल को पानी और गैस (मीथेन और कार्बन-डाइऑक्साइड) में बदल देता है। गैस वातावरण में मिल जाते हैं दूषित जल का क्लोरिनेशन कर दिया जाता है। इससे मानव मल परटरियों पर नहीं फैलता। आठ रेलगाडियों में वर्ष 2012-13 के दैरान 436 जैव-शैचालयों को स्थापित किया गया है, इसके अलावा 2500 और जैव-शौचालयों को प्रस्तुत का जाएगा। 2016-17 तक नए कोचों को पूरी तरह से जैव-शौचालयों से युक्त कर दिया जाएगा और तेरहवीं पंचवर्षीय योजना यानि 2021-22 के दौरान डायरेक्ट डिस्चार्ज यात्रि कोच शौचालय प्रणाली को समाप्त करने का लक्ष्य है।
     इज्जत योजना के तहत यात्रा दूरी को 100 किलोमीटर से बढ़ाकर 150 किलोमीटर तक कर दिया गया है। अन्य नियम और शर्तों में कोई बदलाव नहीं है।  इज्जत मासिक टिकट खरीद (एमएसटी) पर यह मान्य है  जो कि एक जून 2012 को अथवा इसके बाद लिया गया हो। यह योजना असंगठित क्षेत्र में कार्यरत उन लोगों के लिए है जिनकी मासिक आय 1500/-रुपए से अधिक नहीं है।
     रेलगाडियों और स्टेशनों दोनों पर केटरिंग सेवाओं के निरीक्षण और निगरानी  को मजबूत बनाया गया है जिसकी वजह से शिकायतों की संख्या में  कैलेंडर वर्ष (अक्तूबर 2012 तक) के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4.82 प्रतिशत (लगभग) की कमी हुई है। जनवरी से अक्तूबर 2012 के दौरान लगभग 26860 बार मंडलीय रेलवे द्वारा केटरिंग की गुणवत्ता की जांच की गई। केटरिंग सेवाओं को प्रभावी बनाने के लिए  भारतीय रेलवे की केटरिंग सेवाओं के लिए टेंडर प्रदान करने के लिए मानक निविदा दस्तावेज (एसबीडी) तैयार किया गया है।
     लोगों को रेलगाडी के चलने की सही जानकारी के लिए भारतीय रेलवे ने सूचना सुविधा के दायरे को बढ़ाया है। अब सभी रेलगाडियों के लिए www.trainenqiry.com पर उनके चलने की जानकारी उपलब्ध है। इसी प्रकार यह सेवा 139 पर एसएमएस द्वारा भी उपलब्ध है। इससे पहले केवल 36 महत्वपूर्ण रेलगाडियों (शताब्दी, राजधानी और दुरंतों) के चलने की जानकारी ही   www.simran.in  पर तथा 9415139139 पर एसएमएस द्वारा उपलब्ध थी।
     भारतीय रेलवे अधिक सुरक्षित, तीव्र, स्वच्छ और आरादमदायक यात्रि रेलगाडियों के लिए व्यापक रणनीति अपना रहा है। इसके लिए पहले उच्च गति की रेलगाडियों के लिए सात गलियारों की पहचान की गई है। यह गलियारें पीपीपी के जरिए स्थापित किए जाएंगे। शुरु में, मुंबई-अहमदाबाद गलियारे को लिया गया है जिसका पूर्व-व्यवहारिक अध्य्यन पूरा कर लिया गया है। इसके अलावा दिल्ली-मुंबई मार्ग पर भी जापान के साथ अध्य्यन किया जा रहा है ताकि पैसेंजर रेलगाडियों की गति को 160 किलोमीटर प्रति घंटा से बढाकर 200 किलोमीटर प्रति घंटा किया जा सके। तीसरे भारतीय रेलवे अक्वारिंग इलेक्ट्रिकल मल्टिपल युनिट (ईएमयू) की अवधारणा पर भी काम कर रहा है। इससे तीव्र और सुरक्षित यात्रा  में मदद मिलेगी।
     भारतीय रेलवे और राज्य सरकार के साझेदारी मॉडल को जारी रखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में रेल गलियारों के विकास के लिए सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यात्रियों और माल के लिए तीन रेल गलियारों का विकास छत्तीसगढ राज्य के उत्तरी क्षेत्र में किया जाएगा। यह लगभग कुल 453 किलोमीटर लंबाई का होगा। ये गलियारे इस प्रकार हैं- 1. पूर्वी गलियारा- भूपदेवपुर-घरघोदा-धर्मजयगढ़ कोबरा तक  लगभग 180 किलोमीटर लंबाई 2. उत्तरी गलियारा- सुरजापुर-पार्सा-कटघोरा-कोबरा , लगभग 150 किलोमीटर लंबाई और 3. पूर्वी-पश्चिमी गलियारा- गेवरा रोड से पेंड्रा रोड तक लगभग 122 किलोमीटर लंबाई। यह परियोजनाएं विशिष्ट स्पेशल पर्पज व्हेकल (एसपीवी) द्वारा लागू की जाएगी।
     रिक्तियों को भरना प्राथमिकता है और रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा इसे सक्रियता से किया जा रहा है। वर्ष 2012 में 271 वर्गों के लिए 14 लिखित परिक्षाएं हुई जो कि 50515 रिक्तियों के लिए थीं। पिछले 11 महीनों यानि एक जनवरी 2012 से 30 नवंबर 2012 की अवधि के दौरान मंडलीय रेलवे/ प्रोडक्शन युनिटों को सुरक्षा वर्ग के पदों के लिए खासतौर पर 15,838 उम्मीदवारों का पैनल दिया गया है। 2012 में 138 वर्गों के लिए 27,038 रिक्तियों के लिए पांच केन्द्रीकृत अधिसूचनाएं जारी की गई। इनमें से 26,213 रिक्तियों के लिए इस वर्ष चार अधिसूचनाओं के लिए परीक्षाएं कराई जा चुकी हैं।
     लंदन ओलंपिक 2012 में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए रेलवे मंत्रालय ने रेलवे के खिलाडियों का सम्मान किया। उन्हें एक शॉल, स्मृति पत्र और पुरस्कार राशि का चैक प्रदान किया गया। सुशील कुमार जिन्होंने लंदन ओलंपिक में कुश्ती (66 भारवर्ग फ्री स्टाइल) में रजत पदक जीता उन्हें 75 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया गया। निशानेबाजी (50 मीटर प्रोन) के अंतिम दौर में चौथा स्थान हासिल करने वाले जॉयदीप कर्माकर और गोला फेंक में 7वां सथान पाने वाली श्रीमती कृष्णा पूनिया को 25 लाख का नकद पुरस्कार दिया गया। देश में खेलों को बढावा देने के लिए रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड को वर्ष 2012 के लिए “राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार” दिया गया जो कि युवा मामलों और खेल मंत्रालय द्वारा घोषित राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का भाग है।

     अन्य देशों के साथ रेलवे क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग एक अग्रसर प्रक्रिया है। भारत और चीन ने अन्य के साथ, रेलवे क्षेत्र में तकनीकी सहयोग पर सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत दोनों देश उच्च गति रेल, भारी वहन शुल्क और स्टेशन विकास सहित रेलवे प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देंगे। भारतीय रेलवे और बेल्जियम के बीच भी दोनों देशों के बीच रेलवे क्षेत्र के प्रभावी विकास और आधुनिकीकरण के लिए द्विपक्षीय सहयोग पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा भारत सरकार और स्पेन सरकार के बीच रेलवे क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। स्विट्जरलैंड और जर्मनी के साथ भी अलग अलग रुप से रेलवे क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग पर वार्ता की गई। (PIB)

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मीणा/विजयलक्ष्‍मी/आनन्‍द/शौकत-27

खानपान संबंधित शिकायत ?

24-जनवरी-2013 13:03 IST
रेलवे ने शुरू किया टोल फ्री हेल्‍प लाइन नम्‍बर 1800-111-321
रेल मंत्रालय ने रेलवे स्‍टेशनों और ट्रेनों में यात्रियों की सुविधा के लिए खानपान संबंधित शिकायतें जैसे भोजन की गुणवत्‍ता, अधिक दाम लेना इत्‍यादि को दर्ज करने के लिए टोल फ्री नम्‍बर 1800-111-321 के साथ केन्‍द्रीय निगरानी कक्ष की स्‍थापना की है। इस बात की घोषणा करते हुए रेल मंत्री श्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि यह सुविधा सभी सातों दिन सुबह 7 बजे से रात्रि दस बजे तक उपलब्‍ध रहेगी, जब सामान्‍यत: यात्रियों को भोजन परोसा जाता है। मंत्री महोदय ने कहा कि जैसे ही शिकायत दर्ज होगी, शिकायतकर्ता के शिकायती पते को आधार बनाकर समय पर हरसंभव कार्रवाई की जाएगी। उन्‍होंने बताया कि इस सुविधा ने काम करना शुरू कर दिया है। (PIB)***
मीणा/शोभा/गीता- 301

Wednesday, January 9, 2013

रेल मंत्री ने रेल यात्री किरायों में बढ़ोतरी की घोषणा की

09-जनवरी-2013 19:37 IST
   रेल मंत्रालय ने 21 जनवरी, 2013 को आधी रात से यात्री किरायों में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। रेल मंत्री श्री पवन कुमार बंसल ने आज यहां एक संवाददाता सम्‍मेलन में इस फैसले की घोषणा की।श्रेणीवार किरायों में बढ़ोतरी इस प्र‍कार की गई है – 
क्र.सं.
यात्रा की श्रेणी
किराये में प्रस्‍तावित प्रति कि.मी. बढ़ोतरी
i.
द्वितीय श्रेणी सामान्‍य

(उपनगर)
2 पैसा
ii.
द्वितीय श्रेणी सामान्‍य
(गैर-उपनगर)
पैसा
iii.
द्वितीय श्रेणी
(मेल/एक्‍सप्रेस)
पैसा
iv.
स्‍लीपर क्‍लास
पैसा
v.
एसी चेयर कार
10 पैसा
vi.
एसी 3-टियर
10 पैसा
vii
प्रथम श्रेणी
03 पैसा*
viii.
एसी2-टियर
06 पैसा*
ix.
एसी प्रथम श्रेणी
10 पैसा*



























*प्रथम श्रेणी के मामले में 10 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी, एसी 2-टियर में 15 पैसे 
प्रति कि.मी. और एसी प्रथम/एक्‍जीक्‍यूटिव क्‍लास में 30 पैसे प्रति कि.मी. की 
बढ़ोतरी 01.04.2012 से लागू की जा चुकी है।
यह फैसला किया गया कि यात्री टिकटों पर विकास शुल्‍क को समाप्‍त किया जाए और सभी 
किराये पांच रूपये के गुणज में हो।किराये में बढ़ोतरी को तर्कसंगत बताते हुए रेल मंत्री ने कहा 
कि मूल किरायों में पिछले 10 
वर्षों से संशोधन नहीं किया गया था। (केवल 01.04.2012 से लागू प्रथम श्रेणी में 10 पैसे 
प्रति किलोमीटर, एसी 2-टियर में 15 पैसे प्रति किलोमीटर और एसी प्रथम/एक्‍जीक्‍यूटिव 
क्‍लास में 30 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी को छोड़कर) उन्‍होंने कहा कि यात्री खंड में 
नुकसान 2004-05 में 6159 करोड़ रूपये था, जो 2010-11 में बढ़कर 19964 करोड़ रूपये 
(18 प्रतिशत प्रति वर्ष) हो गया। इसके 2012-13 में 25000 करोड़ रूपये तक बढ़ जाने 
की उम्‍मीद है।

     श्री बंसल ने बताया कि 2004-05 और 2010-11 के बीच रेलवे के निवेश में 10.6 %
प्रतिशत वर्ष की दर से बढ़ोतरी हुई, ज‍बकि किराये स्थिर रहे या निचली श्रेणियों के लिए कम 
किये गए, जिससे घाटा बढ़ता गया। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि अन्‍य तरीकों से तेजी से 
प्रतिस्‍पर्धा को देखते हुए माल भाड़े से क्रॉस सब्सिडी व्‍यावहारिक नहीं है। 2012-13 के रेल 
बजट का जिक्र करते हुए श्री बंसल ने कहा कि किरायों में वृद्धि का प्रस्‍ताव संसद में रेल बजट में 
रखा गया था और अंत में केवल प्रथम, द्वितीय एसी और प्रथम एसी और एक्‍जीक्‍यूटिव क्‍लास 
के किरायों में बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई, जो कुल यात्रियों का केवल 0.3 प्रतिशत और यात्रियों 
से होने वाली कुल आमदनी का करीब 10 प्रतिशत है। रेल मंत्री ने कहा कि इसके 
परिणामस्‍वरूप आंतरिक संसाधनों पर गंभीर प्रभाव पड़ा, जिससे वार्षिक योजना का आकार 
कम होकर 2012-13 में 51000 करोड़ रूपये हो गया, जबकि लक्ष्‍य 61000 करोड़ रूपये का 
था। इसी तरह कोष संतुलन 2011-12 में नकारात्‍मक रहा। 
जिससे आवश्‍यक परिवर्तन/परिसंपत्तियों का नवीनीकरण, संचालन और रख-रखाव तथा 
सुर‍क्षा और यात्री सुविधाओं के कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ा। रेल मंत्री ने जोर देकर कहा कि 
इन बातों को देखते हुए यात्री किराया बढ़ाना जरूरी हो गया था। (PIB)
वि.कासोटिया/कविता/तारा – 112