Tuesday, July 8, 2014

PM श्री नरेंद्र मोदी का रेल बजट पर वक्‍तव्‍य का हिंदी प्रतिलेख

08-जुलाई-2014 16:12 IST
यह बजट transparency को बल देता है
"2014-15 का यह रेल बजट, देश को अधिक गति देने वाला, रेलवे को अधिक आधुनिक बनाने वाला,नागरिकों को अधिक सुरक्षा और सेवा देने वाला सिद्ध होगा। 
एक लम्बे अरसे के बाद देश अनुभव करेगा कि सच्चे अर्थ में हमारी रेलवे, यह भारतीय रेलवे है। पिछले कुछ दशकों से एक बिखराव महसूस होता था, टुकड़ों में सोचा जाता था। पहली बार समग्रतः भारत के विकास को ध्यान में रख कर, रेलवे बजट में बल दिया गया है - इक्कीसवीं सदी का भारत, इसकी नींव,इस आधुनिक रेल बजट में दिखाई देती है। विज्ञान और टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग, आने वाले दिनों में हो। रेलवे जैसा तंत्र ad-hoc रूप से नहीं चल सकता। हर प्रकार के निर्णय प्रक्रिया के लिए, नए vision के लिए, नए initiative के लिए, institutional mechanism होना बहुत ज़रूरी होता है। रेलवे का यह बजटinstitutional mechanism को बल देता है। 

चारों तरफ भ्रष्टाचार के खिलाफ, सामान्य मानव का रोष है। यह बजट transparency को बल देता है, integrity को बल देता है। 

रेल का विस्तार भी हो। रेल का विकास भी हो। यात्रियों की संख्या भी बढे, यात्रियों की सुरक्षा भी बढे। 

रेलवे सिर्फ यातायात का साधन नहीं है। रेलवे भारत की विकास यात्रा का growth engine है। इस बार का रेलवे बजट, इस बात को सिद्ध करेगा कि देश के विकास में, रेलवे अहम भूमिका निभाता है। आज़ादी के बाद अगर रेलवे पर हमने बल दिया होता, तो आज विकास की नयी ऊंचाइयों को पाने में, रेलवे सहायक होता। देर आये, दुरुस्त आये। हमने 2014 से विकास की इस गति को, विकास की इस ऊंचाई को, आरम्भ किया है। मुझे विश्वास है कि रेल यात्रा में सफर करने वाले यात्रियों को, सुखद अनुभव होगा, और देश के विकास से जुड़े हुए लोगों के लिए यह विकास का विश्वास देगा। 

भारत में रेलवे विकास के कुछ नए आयामों को भी बल दिया गया है। 125 करोड़ का देश, यात्रियों का देश है। भिन्न भिन्न सम्प्रदाय, यात्रा करने के आदि हैं। उनके लिए विशिष्ट व्यवस्थाओं की ज़रुरत को रेलवे पूरा करने जा रहा है। 

वैश्विक economy का यह युग है। Globalization का जब era है, तब हमारे ports sector को rail connectivity की बहुत ज़रुरत है। विश्व व्यापार के लिए यह जो initiatives लिए गये हैं, वो भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए एक बहुत बड़ी ताक़त बनेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। 

यह rail budget, interim budget आने के बाद का बजट है। बहुत कम समय है। लेकिन जो initiativeलिए गए हैं, वो इस दिशा को दर्शाते हैं, कि हम रेल को कहाँ ले जाना चाहते हैं, साथ साथ रेल के माध्यम से हम देश को कहाँ ले जाना चाहते हैं। न सिर्फ रेल को कहाँ पहुंचाना है, यह हमारा मक़सद नहीं है, रेल के माध्यम से देश को किन ऊंचाइयों तक पहुंचाना है, यह भी हमारा मक़सद है। और यह सरकार का यह सपना पूरा होगा।" (PIB)
***

रेल बजट में सुधार की दिशा में उठाए गए अनेक कदम

08-जुलाई-2014 13:51 IST
लोक-लुभावन उपायों से बनाई दूरी-रेल किराये में वृद्धि नहीं
सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश और सार्वजनिक-निजी साझेदारी
यात्री सुविधाओं, स्‍वच्‍छता और समुचित स्‍टेशन प्रबंधन पर खास ध्‍यान
सुरक्षा और बचाव को सुधारने के लिए बहुआयामी उपायों पर जोर, 4000 महिला आरपीएफ कांस्‍टेबलों की नियुक्ति की जाएगी
ई-टिकिटिंग, प्रमुख स्‍टेशनों और चुनिन्‍दा रेलों में वाई-फाई सेवाएं, यात्रियों के लिए मोबाइल आधारित जागरूकता कॉल के माध्‍यम से नई पीढ़ी के लिए रेलवे की आरक्षण प्रणाली में महत्‍वपूर्ण बदलाव

58 नई रेलों का शुभारंभ होगा, 11 मौजूदा रेलों का विस्‍तार किया जाएगा

रेल विश्‍वविद्यालय और अभिनव इनक्‍यूबेशन केंद्र का गठन किया जाएगा

पारदर्शिता को सर्वोच्‍च प्राथमिकता, उच्‍चत्‍तर खरीद में ई-खरीद को अनिवार्य बनाया जाएगा, अगले दो महीनों में वैगनों का ऑनलाइन पंजीकरण

सुरक्षा उपायों के लिए अब तक का सर्वाधिक उच्‍चतम आवंटन 65, 445 करोड़ रूपये के परिव्‍यय की योजना


रेल मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने आज वर्ष 2014-15 का रेल बजट प्रस्‍तुत करते हुए या‍त्री सुविधाओं में वृद्धि, अधिक सुरक्षा उपाय, परियोजनाओं की समय से समाप्ति और वित्‍तीय अनुशासन बढ़ाने जैसे मुद्दों पर खास ध्‍यान दिया है।

रेल मंत्री श्री गौड़ा ने सदन में रेल बजट प्रस्‍तुत करते हुए सुधार की दिशा में अनेक कदम उठाने की घोषणा की है। श्री गौड़ा ने कुप्रबंधन से सख्‍ती से निपटने और लोक-लुभावन उपायों से दूरी बनाने की भी घोषणा की। मंत्री महोदय ने कहा कि रेलवे में ढांचागत सुधारों को लागू किया जाएगा और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों की भूमिका बढ़ाते हुए प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश और सार्वजनिक–निजी साझेदारी के माध्‍यम से संसाधनों का विस्‍तार भी किया जाएगा।

मंत्री महोदय ने यात्रियों के लिए रेल यात्रा को सुरक्षित और आरामदायक बनाने के लिए भी बहुआयामी उपायों के प्रस्‍ताव रखे। बजट में यात्रियों की सुविधाओं, स्‍वच्‍छता और समुचित स्‍टेशन प्रबंधन पर खास ध्‍यान दिया गया है। अब सभी प्रमुख स्‍टेशनों पर पैदल पार पथ पुल, एक्‍सीलेटर और लिफ्ट की सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।

सुरक्षा और बचाव के मामले में, दुर्घटनाओं के कारणों को रोकने के लिए बजट में अत्‍याधुनिक तकनीकों का प्रस्‍ताव रखा गया है। इसके तहत उपनगरीय कोचों और मुख्‍य लाइन में स्‍वचालित दरवाजें लगाने के लिए पायलट परियोजना प्रारंभ की जाएगी। रेलवे पुलों और भूमिगत पुलों के लिए भी काफी धनराशि का प्रावधान किया गया है। यात्रा के दौरान महिलाओं की सुरक्षा पर खास ध्‍यान रखते हुए रेलवे में 4000 महिला कांस्‍टेबलों की नियुक्ति की जाएगी तथा महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्‍बों में सुरक्षा व्‍यवस्‍था और मजबूत की जाएगी।

रेल बजट में सूचना प्रौद्योगिकी पहलों पर महत्‍वपूर्ण जोर दिया गया है। इंटरनेट पर अनारक्षित टिकटों और प्‍लेटफाम टिकटों का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा अगली पीढ़ी के लिए रेलवे आरक्षण व्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण सुधार किए जाने का प्रस्‍ताव है। रेलवे ने रेलों के आवागमन की सही जानकारी और यात्रियों के लिए मोबाइल आधारित जागरूकता कॉल प्रणाली, मोबाइल आधारित गंतव्‍य पहुंच अलर्ट और ए-1 तथा ए श्रेणी के स्‍टेशनों और चुनिन्‍दा रेलों में वाई-फाई सेवाएं देने का भी प्रस्‍ताव है।

रेलवे प्रबंधन को और कुशल बनाने के लिए अभिनव और इनक्‍यूबेशन केन्‍द्रों की स्‍थापना के अलावा तकनीकी और गैर-तकनीकी विषयों में प्रशिक्षण के लिए रेल विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना का भी प्रस्‍ताव है।

भारतीय रेल नेटवर्क को अत्‍याधुनिक बनाए जाने के क्रम में चुनिन्‍दा 9 क्षेत्रों में 160-200 कि.मी. प्रति घंटा की गति वाली रेलों के अलावा मुंबई-अहमदाबाद क्षेत्र में एक बुलेट ट्रेन का भी प्रस्‍ताव है। रेलवे ने देश के सभी प्रमुख मेट्रो और विकसित केन्‍द्रों को जोड़ने के लिए त्‍वरित गति के रेल संपर्क नेटवर्क के लिए डायमंड क्‍वाड्रिलेटरल परियोजना का भी प्रस्‍ताव किया है। सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्‍यम से नवीन विकसित हवाई अड्डों की तर्ज पर अत्‍याधुनिक सुविधाओं के साथ चिन्हित स्‍टेशनों को अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों के अनुसार विकसित किया जाएगा। रेलवे ने अपने प्रमुख स्‍टेशनों और रेल भवनों की छतों का उपयोग करते हुए सौर ऊर्जा प्राप्‍त करने का भी प्रस्‍ताव रखा है।

     रेलवे संसाधनों का और अधिक दोहन करने के लिए, बजट में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्‍यम से पार्सल वैनों की खरीद, विशेष दूध टैंकर रेलें, सब्जियों और फलों की ढुलाई में तेजी लाने के लिए वेयर हाऊसिंग कॉर्पोरेशन के साथ साझेदारी जैसी सुविधाओं का भी प्रस्‍ताव है।

     रेल मंत्री ने प्रशासन और परियोजनाओं के निष्‍पादन में अधिक पारदर्शिता लाने का भी प्रस्‍ताव रखा है। वर्तमान में जारी परियोजनाओं की स्थिति को ऑनलाइन किया जाएगा। अधिक धनराशि वाली खरीद के लिए ई-खरीद को अनिवार्य बनाया जाएगा। अगले दो महीनों में वैगनों की मांग के ऑनलाइन पंजीकरण की भी शुरूआत की जाएगी।

     बजट में उपनगरीय और महानगरों में यात्रियों की सुविधाओं पर विशेष ध्‍यान देते हुए अगले दो वर्षों में मुंबई में अत्‍याधुनिक 864 अतिरिक्‍त ईएमयू रेलें चलाई जाएंगी। बेंगलुरू में बेहतर संपर्क की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए मौजूदा रेल नेटवर्क में विस्‍तार करने की संभावनाओं को तलाशने हेतु अध्‍ययन भी किया जाएगा।

     रेल बजट 2014-15 में 58 नई रेलों के अलावा मौजूदा 11 रेलों के विस्‍तार का भी प्रस्‍ताव रखा गया है। इसके अलवा रेल बजट में नई लाइनों के लिए 28 सर्वेक्षण और दोहरीकरण का भी प्रस्‍ताव रखा गया है। पूर्वोत्‍तर और दूर-दराज के क्षेत्रों में जारी वर्तमान परियोजनाओं के लिए भी उच्‍चत्‍तर आवंटन का प्रस्‍ताव रखा गया है। चिन्हित तीर्थयात्री स्‍थलों पर विशेष पैकेज रेल, 2 पर्यटक रेल और स्‍वामी वि‍वेकानंद के जीवन और कर्म को दर्शाने के लिए एक विशेष रेल का भी प्रस्‍ताव बजट में रखा गया है।    बजट अनुमानों के मुताबिक विभिन्‍न संसाधनों के माध्‍यम से रेलवे 1,64,374 करोड़ रूपये की आय अर्जित करेगा और वर्ष 2014-15 के दौरान 1,49,176 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे। संचालन अनुपात के 92.5 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो वर्ष 2013-14 की तुलना में एक प्रतिशत बेहतर है। (PIB)
वि.कासोटिया/अर्चना/संजीव/प्रदीप/तारा/रामकिशन/चित्रदेव/धर्मेन्‍द्र/सुनील/राजू -23

रेल बजट: नई गाडि़यों की सूची

08-जुलाई-2014 13:47 IST
बहुत सी नई सेवाओं और रेल गाड़ियों का ऐलान किया
नई दिल्ली: 8 जुलाई 2014 (PIB):
रेल मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने आज वर्ष 2014-15 का रेल बजट प्रस्‍तुत करते हुए बहुत सी नई सेवाओं और रेल गाड़ियों का ऐलान किया। 
पांच जनसाधारण, पांच प्रीमियम, छह वातानुकूलित एक्‍सप्रेस, 27 एक्‍सप्रेस, 8 पैसेंजर नई गाडि़यां और 2 मेमू तथा पांच डेमू सेवाएं 

रेल मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने आज वर्ष 2014-15 का रेल बजट प्रस्‍तुत करते हुए पांच जनसाधारण, पांच प्रीमियम, छह वातानुकूलित एक्सरप्रेस, 27 एक्स/प्रेस, 8 पैसेंजर नई गाडि़यों और 2 मेमू तथा पांच डेमू सेवाएं प्रारंभ करने का प्रस्‍ताव रखा है। इन नई गाडि़यों की सूची इस प्रकार है - 
क)   जनसाधारण गाड़ियां
1.      अहमदाबाद-दरभंगा जनसाधारण एक्‍सप्रेस वाया सूरत
2.      जयनगर-मुंबई जनसाधारण एक्‍सप्रेस
3.      मुंबई-गोरखपुर जनसाधारण एक्‍सप्रेस
4.      सहरसा-आनंद विहार जनसाधारण एक्‍सप्रेस वाया मोतीहारी
5.      सहरसा-अमृतसर जनसाधारण एक्‍सप्रेस

ख)  प्रीमियम गाड़ियां
1.      मुंबई सेंट्रल-नई दिल्‍ली प्रीमियम एसी एक्‍सप्रेस
2.      शालीमार-चेन्‍नई प्रीमियम एसी एक्‍सप्रेस
3.      सिकंदराबाद-हजरत निजामुद्दीन प्रीमियम एसी एक्‍सप्रेस
4.      जयपुर-मुदरै प्रीमियम एसी एक्‍सप्रेस
5.      कामाख्‍या—बैंगलुरू प्रीमियम एसी एक्‍सप्रेस

ग)   वातानुकूलित एक्‍सप्रेस गाड़ियां 
1.      विजयवाड़ा- नई दिल्‍ली (दैनिक)
2.      लोकमान्‍य तिलक (ट) – लखनऊ (साप्‍ताहिक)
3.      नागपुर – पुणे (साप्‍ताहिक)
4.      नागपुर-अमृतसर (साप्‍ताहिक)
5.      नहरलगुन-नई दिल्‍ली (साप्‍ताहिक)
6.      निजामुद्दीन – पुणे (साप्‍ताहिक)

घ)   एक्‍सप्रेस गाड़ियां
1.      अहमदाबाद-पटना एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक) वाया वाराणसी
2.      अहमदाबाद-चेन्‍नई एक्‍सप्रेस (सप्‍ताह में दो दिन) वाया वसई रोड
3.      बेंगलुरू – मंगलौर एक्‍सप्रेस (दैनिक)
4.      बेंगलुरू – शिमोगा एक्‍सप्रेस (सप्‍ताह में दो तीन)
5.      बांद्रा (टी) – जयपुर एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक) वाया नागदा, कोटा
6.      बीदर – मुंबई एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
7.      छपरा – लखनऊ एक्‍सप्रेस (सप्‍ताह में तीन दिन) वाया बलिया, गाजीपुर, वाराणसी
8.      फिरोजपुर – चंडीगढ़ एक्‍सप्रेस (सप्‍ताह में 6 दिन)
9.      गुवाहाटी – नहरलगुन इंटरसिटी एक्‍सप्रेस (दैनिक)
10.  गुवाहाटी – मुर्कोंगसेलेक इंटरसिटी एक्‍सप्रेस (दैनिक)
11.  गोरखपुर – आनंद विहार एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
12.  हापा – बिलासपुर एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक) वाया नागपुर
13.  हजूर साहेब नांदेड – बीकानेर एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
14.  इंदौर – जम्‍मू तवी एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
15.  कामाख्‍या - कटरा एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक) वाया दरभंगा
16.  कानपुर – जम्‍मू तवी एक्‍सप्रेस (साप्‍ताह में दो दिन)
17.  लोकमान्‍य तिलक (ट) – आजमगढ़ एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
18.  मुंबई – काजीपेट एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक) वाया बल्‍हारशाह
19.  मुंबई – पलिताना एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
20.  नई दिल्‍ली – बठिंडा शताब्‍दी एक्‍सप्रेस (साप्‍ताह में दो दिन)
21.  नई दिल्‍ली – वाराणसी एक्‍सप्रेस (दैनिक)
22.  पारादीप – हावड़ा एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
23.  पारादीप – विशाखापटनम एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
24.  राजकोट – सेवा एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
25.  रामनगर – आगरा एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
26.  टाटानगर – बैय्यप्‍पनहली (बेंगलुरू) एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)
27.  विशाखापटनम – चेन्‍नई एक्‍सप्रेस (साप्‍ताहिक)

ड) पैसेंजर गाड़ियां
1.      बीकानेर – रेवाड़ी पैसेंजर (दैनिक)
2.      धारवाड़ – दांडेली पैसेंजर (दैनिक) वाया अलनावर
3.      गोरखपुर – नौतनवा पैसेंजर (दैनिक)
4.      गुवाहाटी – मेंदीपठार पैसेंजर (दैनिक)
5.      हटिया – राऊरकेला पैसेंजर
6.      बिंदूर – कासरगौड पैसेंजर (दैनिक)
7.      रंगापाड़ा नार्थ – रांगिया पैसेंजर (दैनिक)
8.      यशवंतपुर – तुमकुर पैसेंजर (दैनिक)

च)     मेमू सेवाएं
1.      बेंगलुरू – रामानगरम सप्‍ताह में 6 दिन (3 जोड़ी)
2.      पलवल – दिल्‍ली – अलीगढ़

छ)    डेमू सेवाएं
1.      बेंगलरू – नीलमंगला (दैनिक)
2.      छपरा – मंडुआडीह (सप्‍ताह में 6 दिन) वाया बलिया
3.      बारामूला – बनिहाल (दैनिक)
4.      संबलपुर – राऊरकेला (सप्‍ताह में 6 दिन)
5.      यशवंतपुर – होसूर (सप्‍ताह में 6 दिन)

वि.कासोटिया/अर्चना/संजीव/प्रदीप/तारा/रामकिशन/चित्रदेव/धर्मेन्‍द्र/सुनील/राजू -10

रेल मंत्री श्री डी. वी. सदानन्‍द गौड़ा के भाषण का सार

08-जुलाई-2014 13:16 IST
रेल मंत्री के भाषण का सार इस प्रकार:
रेल मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने आज संसद में वर्ष 2014-15 का रेल बजट प्रस्‍तुत किया। रेल मंत्री के भाषण का सार इस प्रकार है :- 
‘’अध्‍यक्ष महोदया,
           मैं सम्‍मानित सदन के समझ वर्ष 2014-15 के लिए रेलवे की अनुमानित आय और व्‍यय का विवरण प्रस्‍तुत कर रहा हूं। मुझे गणतंत्र के इस मंदिर में खड़े होने का अवसर प्राप्‍त हुआ है और मैं देश की जनता का आभारी हूं जिन्‍होंने अपनी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें यहां चुनकर भेजा है।
     मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का आभारी हूं जिन्‍होंने मुझ में विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है और भारतीय रेलवे का नेतृत्‍व करने की बड़ी जिम्‍मेदारी मुझे सौंपी है। मैं इस जिम्‍मेदारी को पूरा करने का वादा करता हूं और न केवल भारतीय रेल का नेतृत्‍व में एक प्रगतिशील भारत के निर्माण का हर संभव प्रयास करने का भी  वचन देता हूं। मुझे अपना पहला रेल बजट प्रस्‍तुत करते हुए अत्‍यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। भारतीय रेल, देश का अग्रणी वाहक होने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की बुनियाद और आत्‍मा भी है। उत्‍तर में बारामूला से लेकर दक्षिण में कन्‍याकुमारी तक और पश्चिम में ओखा से लेकर पूर्व में लेखापानी तक देश के प्रत्‍येक नागरिक के दिलों में इसकी गूंज सुनाई देती है। अध्‍यक्ष महोदया, हम सभी जानते हैं कि भारतीय रेल सभी क्षेत्रों, वर्गों और मजहबों से परे है और इसमें एक लघु भारत सफर करता है।    बेंगलूरू की गलियों के एक आम आदमी से लेकर कोलकाता में मछली विक्रेताओं तथा चहल-पहल भरे निजामुद्दीन स्‍टेशन तक, हर जगह आपको इस देश का नागरिक भारतीय रेलवे से यात्रा करने के लिए बेताब मिलेगा।
माननीय अध्‍यक्ष महोदया, यद्यपि मुझे पदभार ग्रहण किए हुए मुश्किल से एक महीना हुआ है, मेरे पास माननीय संसद सदस्‍यों, सरकार में मेरे सहयोगियों, राज्‍यों, स्‍टेक होल्‍डरों, संगठनों और देश के विभिन्‍न कोनों से नई गाडि़यों, नई रेल लाइनों और बेहतर सुविधाओं के लिए अनुरोधों और सुझावों की बाढ़-सी आ गई है। मैं जानता हूं कि हर कोई यह महसूस करता है कि उनके पास उन सभी चुनौतियों का समाधान है जिनका सामना भारतीय रेलवे कर रही है, इस विशाल संगठन की भारी जटिलताओं और समस्‍याओं से परिचित होने से पहले मेरी भी ऐसी धारणा थी। अब मैं रेल मंत्री के रूप में इन अपेक्षाओं को पूरा करने में अपनी बड़ी जिम्‍मेदारियों से अभिभूत हूं।
अध्‍यक्ष महोदया, मुझे कौटिल्‍य के निम्‍नलिखित शब्‍दों का स्‍मरण होता है:
प्रजासुखे सुखं राज्ञ: प्रजानां च हिते हितम्।
नात्‍मप्रियं हितं राज्ञ: प्रजानां तु प्रियं हितम्।
जनता की खुशियों में शासक की खुशी निहित होती है
उनका कल्‍याण उसका कल्‍याण होता है
जिस बात से शासक को खुशी होती है वह उसे ठीक नहीं समझेगा
परन्‍तु जिस किसी बात से जनता खुश होती है
शासक उसे ठीक समझेगा।
-     कौटिल्‍य का अर्थशास्‍त्र
भारतीय रेल इस उपमहाद्वीप के 7172 से अधिक स्‍टेशनों को जोड़ते हुए प्रतिदिन 12617 गाडि़यों में 23 मिलियन से ज्‍यादा यात्रियों को ढोती है। यह प्रतिदिन ऑस्‍ट्रेलिया की संपूर्ण जनसंख्‍या को ढोने के बराबर है। हम 7421 से अधिक मालगाडियों में प्रतिदिन लगभग 3 मिलियन टन माल ढोते हैं। अध्‍यक्ष महोदया, एक बिलियन टन माल यातायात से अधिक लदान कर चीन, रूस और संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका की रेलों के सेलेक्‍ट क्‍लब में भारतीय रेल को प्रवेश करने की उपलब्‍धि हासिल है, अब मेरा लक्ष्‍य विश्‍व में सबसे अग्रणी वाहक के रूप में उभरने का है।
  अध्‍यक्ष महोदया, जैसा आप जानती हैं, भारतीय रेल, यात्रियों को ढोने के अतिरिक्‍त कोयला भी ढोती है।  
यह स्‍टील की ढुलाई करती है
यह सीमेंट की ढुलाई करती है
यह नमक की ढुलाई करती है
यह खाद्यान्‍नों और चारे की ढुलाई करती है
और यह दूध की भी ढुलाई करती है
इस प्रकार, भारतीय रेल व्‍यावहारिक रूप से सभी की ढुलाई करती है और यह किसी भी वस्‍तु को ना नहीं करती है, बशर्ते उसे मालडिब्‍बे में ढोया जा सकता हो। सबसे महत्‍वपूर्ण है कि हम रक्षा संगठन की आपू‍र्ति श्रृंखला की रीढ़ बनकर राष्‍ट्र की सुरक्षा में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अध्‍यक्ष महोदया, हालांकि हम प्रतिदिन 23 मिलियन यात्रियों को ढोते हैं लेकिन अभी भी काफी जनता ऐसी है जिन्‍होंने अभी तक रेलगाड़ी में पैर तक नहीं रखा है। हम औद्योगिक समूहों को पत्‍तनों और खदानों से जोड़ते हुए प्रतिवर्ष एक बिलियन टन से अधिक माल यातायात का लदान करते हैं लेकिन अभी भी कई अंदरूनी भाग रेल संपर्क की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यद्यपि विगत वर्षों में माल यातायात व्‍यापार निरंतर बढ़ रहा है, भारतीय रेल देश में सभी साधनों से ढोए जाने वाले कुल माल यातयात का 31 प्रतिशत को ही ढोती है। ये ऐसी चुनौतियां है जिनका हमें सामना करना है।
विविध किस्‍म की जिम्‍मेदारियां निभाने वाले इस प्रकार के विशाल संगठन से एक वाणिज्‍यिक उद्यम के रूप में आमदनी अर्जित करने के साथ एक कल्‍याणकारी संगठन के रूप में भी कार्य करने की उम्‍मीद की जाती है। ये दो कार्य, रेलपथ की दो पटरियों के समान हैं, जो हालांकि साथ-साथ चलती हैं लेकिन कभी मिलती नहीं हैं। अभी तक भारतीय रेल इन दो विरोधात्‍मक उद्देश्‍यों में संतुलन बनाते हुए इस कठिन कार्य को निभाती रही है।
2000-01 में सामाजिक सेवा-दायित्‍व, सकल यातायात प्राप्‍ति‍यों के 9.4 प्रतिशत से बढ़कर 2010-11 में 16.6 प्रतिशत हो गया। 2012-13 में इस प्रकार का दायित्‍व 20,000 करोड़ रु. से भी अधिक हो गया। इस वर्ष का कुल निवेश अर्थात बजटीय स्रोतों के अंतर्गत योजना परिव्‍यय 35,241 करोड़ रु. था। इस प्रकार समाजिक दायित्‍व के बोझ की राशि बजटीय स्रोतों के अंतर्गत हमारे योजना परिव्‍यय के आधे से भी ज्‍यादा है।
अध्‍यक्ष महोदया, सामाजिक दायित्‍वों पर बजटीय स्रोतों के अंतर्गत अपने योजना परिव्‍यय के आधी से ज्‍यादा राशि खर्च करने वाला कोई भी संगठन अपने विकास कार्यों के लिए मुश्किल से ही पर्याप्‍त संसाधन जुटा सकता है।
बहरहाल, अध्‍यक्ष महोदया, भारतीय रेल अपने सामाजिक दायित्‍वों को पूरा करती रहेगी लेकिन कार्यकुशलता तथा गाड़ी परिचालन की संरक्षा के साथ समझौता किए बिना एक सीमा के बाद इन दो परस्‍पर विरोधी उद्देश्‍यों में संतुलन बनाए रखना संभव नहीं है।
हमारे पास 1.16 लाख किमी. लंबाई का कुल रेलपथ, 63,870 सवारी डिब्‍बे, 2.4 लाख से अधिक माल डिब्‍बे और 13.1 लाख कर्मचारी हैं। इसके लिए ईंधन वेतन और पेंशन, रेलपथ एवं सवारी डिब्‍बा अनुरक्षण और इससे भी अधिक महत्‍वपूर्ण संरक्षा संबंधी कार्य पर खर्च की आवश्‍यकता होती है। इन कार्यों पर सफला यातायात आमदनी से होने वाली हमारी अधिकांश आर्य खर्च हो जाती है। वर्ष 2013-14 में सकल यातायात आमदनी 1,39,558 करोड़ रूपये और कुल संचालन व 1,30,321 करोड़ था, जिसका परिचालन अनुपात लगभग 94 प्रतिशत बनता है।
अध्‍यक्ष महोदया, इससे पता चलता है कि अर्जित किये गये प्रत्‍येक रूपये में से हम 94 पैसा परिचालन पर खर्च कर देते हैं। हमारे पास अधिशेष के रूप छह पैसा ही बचता है। यह राशि कम होने के अलावा किरायों में संशोधन न किये जाने के कारण इसमें निरंतर गिरावट आई है। अनिवार्यत: किए जाने वाले लाभांश और लीज़ प्रभारों के भुगतान के बाद वर्ष 2007-08 में यह अधिशेष 11,754 करोड़ रूपये था और मौजूदा वर्ष में 602 करोड़ रूपये होने का अनुमान है।
अध्‍यक्ष महोदया, रेलों द्वारा इस प्रकार जुटाए गये इस बहुत ही कम अधिशेष द्वारा संरक्षण, क्षमता बढ़ाने, अवसंरक्षण, या‍त्री सेवाओं और सुख-सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कार्यों को वित्‍तपोषित किया जाता है।

मात्र चालू परियोजनाओं के लिए 5 लाख करोड़ रूपये अर्थात प्रतिवर्ष लगभग 50,000 करोड़ रूपये अपेक्षित हैं। इससे अपेक्षित राशित अधिशेष के रूप में उपलब्‍ध राशि के बीच भारी अंतर आ जाता है।

यद्पि इस अंतर को काटने के लिए विवेकपूर्ण प्रयास किये जाने चाहिए थे, परन्‍तु जो टैरिफ नीति अपनाई गई उसमें युक्तिसंगत दृटिकोण की कमी रही। यात्री किरायों को लागत से कम रखा गया और इस प्रकार पैसेंजर गाड़ी के परिचालन में हानि हुई। यह हानि बढ़ती रही जो 2000-01 ने प्रति पैसेंजर किलोमीटर 10 पैसे बढ़कर 2012-13 में 23 पैसे हो गई क्‍योंकि यात्री किरायों को सदैव कम रखा गया।

दूसरी ओर मालभाड़ा दरों को समय-समय पर बढ़ाया और उन्‍हें ज्‍यादा रखा गया ताकि पैसेंजर सेक्‍टर में होने वाली हानि की प्रतिपूर्ति की जा सके। परिणामस्‍वरूप माल यातायात निरंतर रेलवे से छूटता गया। विगत 30 वर्षों में कुल माल यातायात में रेलवे का हिस्‍सा निरंतर कम हुआ है। अध्‍यक्ष महोदया, यह उल्‍लेखनीय है कि कुल माल यातायात में रेलवे का हिस्‍सा कम होना, राजस्‍व को हानि होने जैसा है।

अध्‍यक्ष महोदया, यह बताने के बाद कि किस प्रकार राजस्‍व को गंवाया गया अब मैं यह बताना चाहता हूं कि किस प्रकार निवेश में दिशाहीनता है।

परियोजनाओं को पूरा करने पर जोर दिए जाने के बजाय उन्‍हें स्‍वीकृत कर देने पर ध्‍यान दिया गया। पिछले 30 वर्षों के दौरान 1,57,883 करोड़ रूपए मूल्‍य की कुल 676 परियोजनाएं स्‍वीकृत की गईं, इनमें से केवल 317 परियोजनाओं को ही पूरा किया जा सका और शेष 359 परियोजनाओं को पूरा किया जाना बाकी है, जिन्‍हें पूरा करने के लिए अब 1,82,000 करोड़ रूपए अपेक्षित होंगे।

पिछले 10 वर्षों में 60,000 करोड़ रूपय मूल्य की 99 नई लाइन परियोजनाओं को स्वीकृत किया गया, जिसमें से आज की तारीख तक मात्र एक परियोजना को ही पूरा किया गया है। वास्‍तव में इसमें 4 परियोजनाएं तो ऐसी हैं जो 30 वर्ष तक पुरानी हैं परन्‍तु वे किसी न किसी कारण से अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। जितनी अधिक परियोजनाओं को हम इसमें जोड़ देंगे हम उनके लिए उतना ही कम संसाधन मुहैया करा पाएंगे और उनहें पूरा करने में उतना समय भी लगेगा।

यदि यही प्रवति जारी रखी गयी तो मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि और अधिक हजारों करोड़ रूपए खर्च हो जाएंगे और इससे मुश्किल से ही कोई प्रतिफल प्राप्‍त होगा।

अध्‍यक्ष महोदया, भारतीय रेलों की कभी न समाप्‍त होने वाली परियोजनाओं के बारे में बताने के बाद अब मैं परियोजनाओं का चयन करने में किस प्रकार प्राथमिकता दी जाती है, उसका उल्‍लेख करता हूं। अति संतृप्‍त नेटवर्क में भीड़भाड़ को कम करने के लिए दोहरीकरण और तिहरीकरण के लिए किए जाने वाले निवेश से रेलों को धन प्राप्‍त होता है। दूसरी ओर नई लाइनों का निर्माण करने से अधिकांशत: परिचालनिक लागत भी पूरी प्राप्‍त नहीं होती है, क्‍योंकि उसके अनुरूप मांग नहीं होती है।

पिछले 10 वर्षों में भारतीय रेल ने 3738 किलोमीटर नई लाइनों को बिछाने के लिए 41,000 करोड़ रूपए का निवेश किया है। दूसरी ओर इसने 5050 किलोमीटर के दोहरीकरण के लिए मात्र 18,400 करोड़ रूपए ही खर्च किए। यद्पि प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए यह प्राथमिकता वाला कार्य था।

संयोग से, मैं भारतीय रेल के बारे में किसी व्‍यक्ति द्वारा कही गई निम्‍नलिखित बात, को यहां उद्धृत करना चाहूंगा। मैं इसे तब तक नहीं समझ पाया जब तक मुझे इन तथ्‍यों की जानकारी नहीं थी, जिनका मैंने अभी तक जिक्र किया है।  यह कथन इस प्रकार है:

‘’आपने ऐसे किसी व्‍यापार के बारे में नहीं सुना होगा, जिसका एकाधिकार हो,
जिसका ग्राहक आधार लगभग 125 करोड़ हो,
जिसकी 100 प्रतिशत बिक्री अग्रिम भुगतान पर होती हो,
और उसके बावजूद उसके पास धन का अभाव हो।‘’
अध्‍यक्ष महोदया, अब तक भारतीय रेल की यही कहानी रही है।
अध्‍यक्ष महोदया, रेलवे द्वारा सामाजिक दायित्‍व का निर्वहन करना कोई मुद्दा नहीं है। परन्‍तु सामाजिक जरूरत के नाम पर लोक-लुभावन परियोजनाओं का चयन किया गया, जिनसे रेलवे को मुश्किल से कोई राजस्‍व प्राप्‍त हुआ हो। सामाजिक  दायित्‍व के नाम पर अलाभप्रद परियोजनाओं पर निवेश किया जाना जारी रहा। समग्रत: देखा जाए तो कई वर्षों तक न तो इन परियोजनाओं से रेलवे को कोई प्रतिफल प्राप्‍त हुआ और न ही पूरी तरह से सामाजिक दायित्‍व ही पूरा हुआ।

इस त्रुटिपूर्ण प्रबंधन और उदासीनता से बहुत वर्षों से रेलवे धन की भारी तंगी का सामना कर रही है, ‘जो स्‍वर्णिम दुविधा के दशक’- वाणिज्यिक व्‍यवहार्यता और सामाजिक व्‍यवहार्यता के बीच चयन की दुविधा का परिणाम है।

अध्‍यक्ष महोदया, मुझे पता है कि मेरे पूर्ववर्ती सम्‍मानित मंत्री भी इस अनिश्चितता की स्थिति से परिचित थे परन्‍तु उनके द्वारा इन परियोजनाओं की घोषणा करते समय सदन में बजने वाली तालियां सुनने से प्राप्‍त होने वाले ‘नशे’ का वे परित्‍याग न कर सके।

अध्‍यक्ष महोदया, कुछ नई परियोजनाओं की घोषणा करके मैं भी इस सम्‍मानित सदन से तालियां पा सकता हूं परन्‍तु  यह कठिन स्थिति से गुजर रहे इस संगठन के प्रति अन्‍याय करना होगा। मेरी इच्‍छा है कि रेल को स्थिति में सुधार लाकर मैं वर्ष भर तालियां पाता रहूं।

भारतीय रेल की इस शोचनीय स्थिति को तत्‍काल ठीक किए जाने की आवश्‍यकता है। कुछ सुधारात्‍मक उपायों, जिनकी मैंने योजना बनाई है, में एक उपाय किरायों में संशोधन का रहा। यह एक कठिन परन्‍तु जरूरी निर्णय था। अध्‍यक्ष महोदया, जैसाकि कहा गया है कि

यत्‍तदग्रे विषमिव परिणामे अमृतोपमम्।
‘’दवा खाने में तो कड़वी लगती है
लेकिन उसका परिणाम मधुर होता है’’
इस किराया संशोधन से भारतीय रेल को लगभग 8000 करोड़ रूपए का अतिरिक्‍त राजस्‍व प्राप्‍त होगा। बहरहाल, स्‍वर्णिम चतुर्भुज नेटवर्क को पूरा करने के लिए हमें 9 लाख करोड़ रूपए से ज्‍यादा की और केवल एक बुलेट गाड़ी चलाने के लिए लगभग 60,000 करोड़ रूपए की आवश्‍यकता है।

अध्‍यक्ष महोदया, क्‍या यह उचित होगा कि इन निधियों की व्‍यवस्‍था करने के लिए किरायों और माल-भाड़ा की दरों में वृद्धि की जाए और उसका बोझ जनता पर डाला जाए।चूंकि यह अवास्‍तविक है, इसलिए इन निधियों की व्‍यवस्‍था करने के लिए मुझे वैकल्पिक उपायों पर सोचना होगा।‘’
वि.कासोटिया/अर्चना/संजीव/प्रदीप/तारा/रामकिशन/चित्रदेव/धमेन्‍द्र/सुनील/राजू- 27

रेलवे आरक्षण प्रणाली में सुधार

08-जुलाई-2014 13:49 IST
ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनों की सुविधा का परीक्षण किया जाएगा
रेल मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने आज संसद में वर्ष 2014-15 का रेल बजट प्रस्‍तुत करते हुए कहा कि अगली पीढ़ी की ई-टिकटिंग प्रणाली को शुरू करके रेलवे आरक्षण प्रणाली का सुधार किया जाएगा। मोबाइल फोन और डाक घरों के जरिए टिकट बुकिंग को लोकप्रिय बनाया जाएगा।
·        श्री गौड़ा ने कहा कि ई-टिकट के क्षेत्र में प्रणाली की क्षमताओं में सुधार किया जाएगा ताकि 2,000 टिकट प्रति मिनट की तुलना में 7200 टिकट प्रति मिनट उपलब्‍ध कराई जा सके और एक समय में एक साथ 1,20,000 उपयोगकर्ता इसका लाभ उठा सकें।
·        सिक्‍के डालकर परिचालित होने वाली ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनों की सुविधा का परीक्षण किया जाएगा।
·        इंटरनेट के जरिए प्‍लेटफार्म टिकट और अनारक्षित टिकट खरीदने की सुविधा मुहैया कराने के भी प्रयास किए जाएंगे।
·        यात्रियों की सुविधा के लिए और उनका समय बचाने के लिए पार्किंग-सह-प्‍लेटफार्म  काम्‍बो टिकट शुरू की जाएगी।
वि.कासोटिया/अर्चना/संजीव/प्रदीप/तारा/रामकिशन/चित्रदेव/धर्मेन्‍द्र/सुनील/राजू-21

रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने के लिए 100 करोड़ रू. की व्यवस्था

08-जुलाई-2014 13:33 IST

चुने हुए खंड पर बुलेट ट्रेन चलाने और रेलगाड़ियों की गति 160-200 किलोमीटर करने का प्रयास 
रेल मंत्री श्री डी.वी सदानंद गौड़ा ने आज संसद में 2014-15 का रेल बजट प्रस्तुत करते हुए उच्च रफ्तार परियोजना के लिए आरवीएनएल/ एचएसआरसी (उच्च रफ्तार रेल गलियारा) हेतु 100 करोड़ रु. की व्यवस्था की। उन्होंने कहा कि हमारे महान नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की दूरदर्शिता थी जिन्होंने भारत में स्वर्णिम चतुर्भुज रोड नेटवर्क दिया। आज हम श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश के प्रमुख महानगरों और विकास केन्द्रों को जोड़ने के लिए उच्च गति वाले रेल के हीरक चतुर्भुज नेटवर्क की महत्वकांक्षी योजना आरंभ कर रहे हैं।
रेल मंत्री ने कहा कि प्रत्येक भारतीय की यह इच्छा और सपना है कि भारत में यथाशीघ्र बुलेट ट्रेन चलाई जाए। भारतीय रेल लंबे समय से संजोए हुए इस सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मुंबई-अहमदाबाद खंड पर पहले से ही चिन्हित किए हुए खंड पर बुलेट ट्रेन चलाने का प्रस्ताव है, जिसके लिए कई अध्ययन किए गए हैं।



श्री गौड़ा ने कहा कि यद्यपि बुलेट ट्रेनों के लिए पूरी तरह से नई अवसंरचना की आवश्यकता होगी तथापि वर्तमान नेटवर्क को अपग्रेड करके मौजूदा रेलगाड़ियों की गति बढ़ाई जाएगी। इसलिए, चुनिंदा सेक्टरों में 160-200 कि.मी.प्र.घं. तक रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा ताकि प्रमुख नगरों के बीच यात्रा समय में काफी कमी आ सके। चुने गए क्षेत्र इस प्रकार हैः



                            I.            दिल्ली-आगरा



                            II.            दिल्ली-चंडीगढ़



                          III.            दिल्ली-कानपुर



                         IV.            नागपुर-बिलासपुर



                         V.            मैसूर-बेंगलूरू-चेन्नै



                         VI.            मुंबई-गोवा



                       VII.            मुंबई-अहमदाबाद



                      VIII.            चेन्नई-हैदराबाद और



                       IX.            नागपुर-सिकंदराबाद                            (PIB)


वि.कासोटिया/अर्चना/संजीव/प्रदीप/तारा/रामकिशन/चित्रदेव/धर्मेन्द्र/सुनील/राजू-11