Sunday, August 16, 2020

भारतीय रेलवे ने 6 राज्यों में 5.5 लाख श्रम दिवसों का सृजन किया

प्रविष्टि तिथि: 16 AUG 2020 4:04PM by PIB Delhi
 गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत उठाये जा रहे हैं तेज़ कदम 
*बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अभियान तेज़

*रेल मंत्रालय इन परियोजनाओं में की गई प्रगति और इस योजना के तहत इन राज्यों के प्रवासी मजदूरों के लिए जुटाए गए कार्य अवसरों की निगरानी कर रहा है 

*लागू की जा रही इन परियोजनाओं के लिए ठेकेदारों को 14 अगस्त, 2020 तक, 1336.84 करोड़ रुपये का भुगतान जारी किया गया है
*गरीब कल्याण रोज़गार अभियान इन 6 राज्यों के 116 जिलों में लागू किया जा रहा है। 
*इन राज्यों में 2988 करोड़ रुपए लागत की लगभग 165 रेलवे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। 
     भारतीय रेलवे ने 6 राज्यों अर्थात बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत 5.5 लाख से अधिक रोजगार दिवसों का सृजन किया है।
     रेल, वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल इन परियोजनाओं में हुई प्रगति और इस योजना के तहत इन राज्यों के प्रवासी मजदूरों के लिए जुटाए गए कार्य के अवसरों के बारे में नजदीकी निगरानी कर रहे हैं। इन राज्यों में 2,988 करोड़ रुपये की लागत की लगभग 165 रेलवे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निष्पादन किया जा रहा है। 14 अगस्त, 2020 तक, 11296 श्रमिक इस अभियान में शामिल किए गए हैं और लागू की जा रही इन परियोजनाओं के लिए ठेकेदारों को 1336.84 करोड़ रुपये का भुगतान जारी किया गया है।
     रेलवे ने प्रत्येक जिले के साथ-साथ इन राज्यों में भी नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं ताकि राज्य सरकार के साथ नजदीकी समन्वय स्थापित हो सके। रेल, वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने जोनल स्तर पर रेलवे प्रशासन को निर्देश दिया है कि इन परियोजनाओं में प्रवासियों को काम पर लगाना और तदनुसार भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करें।
     रेलवे ने इस योजना के तहत किए जाने वाले कार्यों की संख्या की पहचान की है ये कार्य (i) लेवल क्रासिंग के लिए पहुंच सड़कों का निर्माण और रखरखाव (ii) सिल्टेड जलमार्ग, खाइयों और नालों का विकास और सफाई (iii) रेलवे स्टेशनों के लिए पहुंच सड़क निर्माण और रखरखाव (iv) मौजूदा रेलवे तटबंधों / कटिंग की मरम्मत और चौड़ीकरण (v) रेलवे की भूमि की अंतिम सीमा पर वृक्षारोपण करना और (vi) मौजूदा तटबंधों / कटाव / पुलों का संरक्षण से संबंधित हैं।
     उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 महामारी द्वारा प्रभावित प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या में अपने क्षेत्रों/गांवों में वापसी को देखते हुए इन लोगों को सशक्त बनाने और आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए 20 जून, 2020 को गरीब कल्याण रोज़गार अभियान नामक बड़े रोजगार एवं ग्रामीण सार्वजनिक कार्य अभियान की शुरूआत की थी। प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की थी कि गरीब कल्याण अभियान के तहत टिकाऊ ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 50,000 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाएगी।
     125 दिनों का यह अभियान, मिशन मोड में चलाया जा रहा है और 116 जिलों में 25 श्रेणियों के कार्य / गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 6 राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा के इन जिलों में प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या है। इस अभियान के तहत सार्वजनिक कार्य किए जा रहे हैं। जिसमें 50,000 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा रही है।
     यह अभियान ग्रामीण विकास, पंचायती राज, सड़क परिवहन और राजमार्ग, खान, पेयजल और स्वच्छता, पर्यावरण, रेल, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, सीमा सड़कें, दूरसंचार और कृषि जैसे 12 विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के बीच एक समावेशी प्रयास है ताकि 25 सार्वजनिक बुनियादी ढांचा कार्यों तथा आजीविका के अवसरों में बढ़ोतरी से संबंधित कार्यों को तेजी से लागू किया जा सके।
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दिल्ली मैट्रो भी और अधिक आधुनिक हुई कोरोना युग में

 पुराने गीतों के बोलों का सहारा ले कर शुरू किये नए संदेश 
आज 15 अगस्त  की तारीख उस बेहद गंभीर किस्म की अदाकारा विद्या सिन्हा की पुन्य तिथि भी है जिसने अनगिनत यादगारी रोल किये। कभी उसी का युग ही हुआ करता था।  फिल्म छोटी सी बात आज भी याद आती है। जब बस में सफर करते वक्त अमोल पालेकर बस की सीट खाली होने पर विद्या सिन्हा के साथ बैठना चाहता है लेकिन झट से कोई और युवक उस सीट पर पहुँच जाता है अमोल पालेकर मन मसोस कर रह जाता है। रोमांस, प्रेम और खुशियों के वे छोटे छोटे पल शायद पुरानी पीढ़ी में हम सभी ने देखे होंगें। तब किसी ने न सोचा था कभी कोरोना युग भी आएगा। कोरोना युग ने तो जैसे दुनिया ही बदल दी है। वे सभी बातें अतीत बन गई हैं जब हम सिर्फ सिनेमा हाल में ही नहीं बस और ट्रेन में भी दुसरे के साथ सट कर बैठा करते थे। पार्कों के बैंच और कोने भी अक्सर इसी मकसद के लिए ही इस्तेमाल किये जाते। घर परिवारों में भी पारिवारिक सदस्य अक्सर इसी तरह बैठते। कंधे से कंधा जोड़ कर एक दुसरे के कान में ही कुछ कहना और सुनना एक अलग ही तरह का मज़ेदार माहौल था। धीरे धीरे ट्रेनों में भी यह सब बढ़ने लगा। मैट्रो की सीटों पर बैठना तो एक अलग ही तरह का मज़ा होता। बसों में यही कुछ होने लगा। लेकिन अब कोरोना की मजबूरी भी है और कानून की सख्ती भी। 
अब सोशल डिस्टेंस बेहद आवश्यक हो गई है। इसका पालन करना और करवाना सभी का नैतिक कर्तव्य भी बन गया है। ऐसे में Delhi Metro Rail Corporation ने पुराने गीतों का सहारा लेते हुए नए उग के संदेश देने शुर किये हैं। एक बहुत पुराना गीत है-एक मैं और एक तू दोनों मिले इस तरह---उसी के बोलों को याद दिलाते हुए दिल्ली मैट्रो रेल कार्पोरेशन ने सोशल डिस्टेंस कस्न्देश देते हुए अब एक नया स्केच जारी किया है: एक मैं और एक तू-बैठेंगे इस तरह---साथ ही दोनों में फासला भी दिखाया गया है। देखिये आप भी इस कलाकृति को मित्रों तक भी पहुंचाईये इस पोस्ट के लिंक को। इस स्केच को मैट्रो ने जारी किया था 8 जून 2020 को ट्विटर पर भी। --मीडिया लिंक रविंद्र

Thursday, August 13, 2020

कोरोना के साथ रेलवे की जंग के चलते स्पर्श मुक्त हैंड वाश शुरू

 बैंगलूरु  रेलवे स्टेशन पर हुई शुभ शुरुआत 
नई दिल्ली///लुधियाना: 13 अगस्त 2020:(कार्तिका सिंह//रेल स्क्रीन)::
कोरोना की दहशत हर तरफ छाई हुई है। हर रोज़ अख़बारों के आंकड़े डराने वाले होते हैं। इसके बावजूद कोरोना के साथ लड़ाई जारी है। इस जंग के साथ ही जारी है ज़िंदगी जीने का उत्साह और उसके लिए उठाये जाने वाले कदमों का सिलसिला। रेलवे की तरफ से एक विशेष पहल हुई है दक्षिण भारत में।  
कोविड-19 अर्थात कोरोना का  आतंक जिस तेज़ी से बढ़ता जा रहा है उसे देखते हुए तकरीबन सभी क्षेत्रों में कुछ न कुछ किया जा रहा है। हालांकि इस सब के बावजूद लोग केवल आलोचना ही कर रहे हैं लेकिन हकीकत यही है की लापरवाह और गैर ज़िम्मेदार तत्वों के बावजूद अच्छे और ज़िम्मेदार लोग भी मौजूद हैं जो खुद को खतरों में डाल कर बहुत कुछ कर रहे हैं जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। इसी सिलसिले में दक्षिण-पश्चिम रेलवे में आते बेंगलुरु के रेलवे स्टेशन पर स्पर्श मुक्त हैण्ड वाश का प्रबंध किया गया है। हाथ धोये जायेंगे। हाथ साफ हो जायेंगे लेकिन बिना किसी नल को छूए। तरल साबुन भी सीधा हाथ में आएगा और उसे मलने के बाद धोने के लिए जल भी हाथों पर ह गिरेगा। इसे संचालित करने  बार हर किसी को केवल नीचे दिया गया प्रेशर पॉइंट अपने पांव से थोड़ा सा दबाना होगा और इतने में हाथ साफ़ हो जायेंगे। जल्द ही इस तरह के खूबसूरत बूथ सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर नज़र आएंगे। यह सभी तस्वीरें हम आप को दिखा प् रहे हैं भारतीय रेल मंत्रालय के सौजन्य से।  इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर भी जारी किया गया है। 

निजी रेल परियोजना आवेदन से संबंधित दूसरा सम्मेलन आयोजित

प्रविष्टि तिथि: 13 AUG 2020 12:45PM by PIB Delhi
निजी-सार्वजनिक भागीदारी पर चलाई जाएंगी ये रेलगाडि़यां
नई दिल्ली: 13 अगस्त 2020: (पीआईबी//रेल स्क्रीन)::
Darshak Pandya (Pexels) ने इस तस्वीर को 14 मार्च 2019 को सुबह 8:25 बजे क्लिक किया था
जिसे हम यहां प्रतीकात्मक तौर पर दे रहे हैं 
निजी रेलगाड़ी परियोजना के लिए आवेदन से संबंधित दूसरा सम्मेलन 12 अगस्त 2020 को आयोजित किया गया। इसमें बताया गया कि ये रेलगाडि़यां रेलवे द्वारा पहले से चलाई जा रही गाडि़यों के अतिरिक्त होंगी। साथ ही यह दवा भी किआ गए कि निजी रेलगाडि़यों के माध्यम से आधुनिक तकनीक आएगी। इसके साथ ही बहुत सी और आशाएं भी बंधी हैं। कहा गया है कि इन अतिरिक्त निजी गाड़ियों के परिचालन से रोज़गार के अवसर बढ़ने की उम्मीद
यात्री रेलगाडि़यों के परिचालन में निजी भागीदारी वाली यह परियोजना बड़ा बदलाव लाएगी। इसके जरिए एक ओर जहां यात्री सुविधाओं की गुणवत्‍ता में काफी इजाफा होगा, वहीं आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्‍यम से समय में बचत और मांग तथा आपूर्ति के बीच के अंतर को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। यह परियोजना जनता के लिए परिवहन सेवाओं की उपलब्धता में वृद्धि करेगी। ये निजी रेलगाडि़यां पहले से ही रेलवे द्वारा चलाई जा रही रेलगाडि़यों के अतिरिक्त होंगी। इन अतिरिक्त निजी गाड़ियों के परिचालन से रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है।
परियोजना में शामिल होने के इच्‍छुक निजी भागीदारों का चयन दो चरणों वाली प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें अनुरोध के लिए अर्हता (आरएफक्यू) और अनुरोध के लिए प्रस्ताव (आरएफपी) शामिल हैं।
इस निजी रेलगाड़ी परियोजना के लिए आवेदन से संबंधित पहला सम्मेलन 21 जुलाई, 2020 को आयोजित किया गया था।
पहले सम्मेलन के बाद, रेल मंत्रालय ने एक से अधिक परियोजनाओं में भाग लेने की इच्‍छुक आवेदक कंपनियों के लिए आरएफक्‍यू शुल्क में 10 प्रतिशत की कमी कर दी है।, इसके अलावा बोली लगाने वालों के लिए तीन परियोजनाओं तक की बोली लगाने की सीमा भी खत्‍म कर दी है। यह भी स्पष्ट किया है कि रेलगाडि़यों को पट्टे पर देने की अनुमति होगी। रेल मंत्रालय ने सम्‍मेलन में यातायात डेटा, रियायत समझौते, व्यवहार्यता रिपोर्ट और ट्रेन मानकों और विनिर्देशों के मसौदे को भी साझा किया।
बोली प्रक्रिया के तहत रेल मंत्रालय द्वारा आयोजित दूसरे सम्‍मेलन को अच्‍छी प्रतिक्रिया मिली।  इसमें लगभग 23 इच्‍छुक कंपनियों ने हिस्‍सा लिया। आवेदकों ने पारदर्शी तरीके से परियोजना से जुड़े दस्‍तावेजों को साझा करने के रेल मंत्रालय के फैसले की सराहना की।
सम्मेलन की शुरुआत में आरएफक्‍यू की शर्तों और परियोजना की रूपरेखा पर चर्चा हुई, जिसके बाद संभावित आवेदकों द्वारा उठाए गए प्रश्नों पर भी विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। रेल मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों द्वारा इस पर स्पष्टीकरण से  आरएफक्‍यू और बोली प्रक्रिया के प्रावधानों को बेहतर तरीके से समझने में सुविधा हुई।
आवेदकों द्वारा पूछे गए कई सवालों का जवाब दिया गया। आवेदकों को आरएफक्‍यू प्रस्तुत करने के लिए उसमें दिए गए सभी निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई।
इस सम्‍मेलन पर आवेदकों की ओर से मिली प्रतिक्रिया को 21 अगस्‍त, 2020 तक अपलोड कर दिया जाएगा। आरएफक्‍यू के खुलने की नियत तारीख 8 सितम्‍बर, 2020 है।
परियोजना से जुड़े रियायत समझौते और व्यवहार्यता रिपोर्ट का मसौदा ट्रेन परिचालन ऐप्‍लीकेशन कैप्‍शन के तहत eprocure.gov.in/eprocure पर देखा जा सकता है।
गाड़ियों के विनिर्देश और मानकों की नियमावली का मसौदा rdso.indianrailways.gov.in पर अपलोड किया गया है, जिसमें सभी संबंधित पक्षों से टिप्पणियां मांगी गई हैं। (PIB)
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