खुद की प्रवाह किये बिना इन योद्धायों ने आपकी चिंता की
प्रतीकात्मक फाईल फोटो जिसे रेक्टर कथूरिया ने क्लिक किया |
नई दिल्ली//ट्विटर: 24 अप्रैल 2020: (कार्तिका सिंह//रेल स्क्रीन)::
दुनिया में कोरोना का कहर टूटा तो पूरा संसार ही थम सा गया। गली, मोहल्ला और बाज़ार की चहलपहल खत्म हो गई। दूर दराज के शहरों में जाना एक सपना हो गया। दुसरे शहरों में बैठे लोगों का हालचाल पूछने के मकसद से मोबाईल फोनों का सहारा तो लिया गया लेकिन रसोई कैसे चलती? ह एक मुख्य सवाल था। सभी वर्गों के लिए--सभी जगहों पर। वहां रसोई में कुछ सामान होगा तभी उसमें कुछ पकेगा। कच्चा सामान हो या पका हुआ। दूध हो या पानी-आखिर कैसे पहुंचता। आसपास की दुकानों और स्टोरों में तो यह सारा सामान बहुत ही सीमित मात्रा में होता है। लॉक डाउन की खबर सुनते ही दुकानों पर टूटी भीड़ ने सारे स्टोर और दुकानें खाली कर दिन थी। वहां नया सामान कैसे पहुंचता? इस सब को आप तक पहुंचाने के लिए तेज़ रफ्तार से काम किया भारतीय रेल ने। रसोई के लिए ज़रूरी हर छोटी बड़ी चीज़ एक से दुसरे शहर तक पहुंचाई जाने लगी। इस मकसद के लिए भारतीय रेल के अधिकारीयों और कर्मचारियों ने एक तरह से फ्रंट लाईन पर रह कर काम किया। खुद की परवाह किये बिना आप सभी की परवाह की। आप की रसोई चलती रहे इस के लिए खुद को भी जोखिम में डालने से पीछे नहीं हटे भारतीय रेल के योद्धा। कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान आपके घरों की रसोईयों में सामान्य तौर पर खाना पकता रहे, इसके लिए भारतीय रेल ने खाद्यान्न के परिवहन की स्पीड तेज कर दी है। जब भी कोरोना की महामारी के इन दिनों को याद किया जायेगा तब तब भारतीय रेल से जुड़े लोगों का नाम सबसे आगे हो कर लड़ने वाले योद्धाओं में आएगा। इन योद्धायों ने खुद की प्रवाह किये बिना आप की प्रवाह की। आओ इन्हें सलाम करें।
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