20-मार्च-2021 13:08 IST
नए कदमों के लिए बाकायदा दिशा निर्देश भी जारी
नई दिल्ली: 20 मार्च 2021: (पीआईबी//रेल स्क्रीन)::
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इन दिशा-निर्देशों में कार्य योजना, निवारक उपाय, लोगों को अपराधों के प्रति जागरूक करना, असुरक्षित क्षेत्रों की पहचान कर उनकी निगरानी करना और यात्रियों के लिए सूचना तथा विशेष उपाय शामिल हैं इन दिशा-निर्देशों में क्षेत्रीय रेलवे और उत्पादन इकाइयों को सलाह दी गई हैं कि सक्रिय उपाय अपना कर वे स्थानीय परिस्थितियों व जरूरतों के अनुसार महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अन्य प्रणालियों को लागू कर सकते हैं
भारतीय रेलवे से प्रतिदिन 23 मिलियन करोड़ यात्री सफर करते हैं जिनमें से 20 प्रतिशत अर्थात् 4.6 मिलियन महिलाएं हैं। हाल के दिनों में रेलगाडि़यों और रेलवे परिसरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएं चिंता का प्रमुख विषय रही हैं। इसलिए महिला यात्रियों की सुरक्षा तथा रेलवे में महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों को कम करने की दिशा में भारतीय रेलवे ने एक केन्द्रित योजना के तौर पर निम्न कदम उठाए हैं।
रेलगाड़ियों और रेलवे परिसरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय रेलवे ने सभी क्षेत्रीय रेलवे और उत्पादन इकाइयों को जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं उनमें निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं-
कार्ययोजनाः
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अपनाए जाने वाले निवारक उपाय
1. चिन्हित रेलवे स्टेशनों में अपराध की दृष्टि से संवेदनशील सभी क्षेत्रों, घूमने-फिरने के स्थान, पार्किंग, फुट ओवर ब्रिज, संपर्क सड़कों, प्लेटफॉर्म के किनारे, रेलों की सफाई करने वाली लाइनों, डीईएमयू/ईएमयू, कार शेड्स, रख-रखाव डिपो इत्यादि के आस-पास प्रकाश की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
2. प्लेटफॉर्मों/यार्डों में काफी समय से खाली पड़े ढांचों और क्वार्टरों निर्जन स्थानों पर खड़ी इमारतों, जिनकी निगरानी नहीं होती उन्हें इंजीनियरिंग विभाग के परामर्श से तुरंत ढहाया जाना चाहिए। ऐसे ढांचों अथवा क्वार्टरों को जब तक गिराया नहीं जाता तब तक ड्यूटी स्टाफ ऐसे समय खासकर रात और जब लोगों की उपस्थिति कम हो, उनकी नियमित तौर पर जांच की जानी चाहिए।
3. अनाधिकृत प्रवेश और निकास मार्गों तथा इनमें लोगों की आवाजाही को बंद किया जाना चाहिए।
4. रेलवे यार्डों, गड्ढ़ों और स्टेशनों के समीप रेलवे क्षेत्रों में उगी अवांछित वनस्पति और घास की नियमित तौर पर कटाई कर इन्हें साफ रखना चाहिए ताकि ये अपराधियों के छिपने का स्थान न बन सकें। इस प्रकार के स्थान अपराध की दृष्टि से काफी संवदेनशील होते हैं।
5. प्रतीक्षालय कक्षों की नियमित तौर पर जांच-पड़ताल की जानी चाहिए और पूरी जांच तथा सत्यापन के बाद ही यहां पर लोगों को प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए, खासकर रात और ऐसे समय जब यात्रियों की उपस्थिति कम हो। ऐसे कक्षों की ड्यूटी अधिकारियों द्वारा लगातार जांच की जानी चाहिए।
6. यात्रियों से संबंधित सेवाओं में अनुबंध के आधार पर लगे कर्मचारियों का उचित पुलिस सत्यापन और पहचान पत्र होना जरूरी है और इसे मानक संचालन प्रक्रिया तथा जीसीसी के अनुसार सुनिश्चित किया जाना चाहिए। रेलगाड़ियों और रेलवे परिसरों में बिना पहचान पत्र के आने-जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
7. रेलवे यार्डों और कोच डिपो में किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और ऐसे स्थानों पर प्रवेश प्रणाली नियंत्रित की जानी चाहिए।
8. खाली रेलगाडि़यों को सफाई लाइनों में भेजे जाने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि सी एंड डब्ल्यू तथा इलेक्ट्रिकल स्टाफ ने इनकी पूरी जांच करने के बाद ही इन्हें बंद किया है। रेलवे यार्डों और उपयोग में नहीं लाई जाने वाली रेल लाइनों पर खड़े बेकार कोच (रेल डिब्बों) को पूरी तरह बंद रखा जाना जरूरी है और इनकी समय-समय जांच भी आवश्यक है।
9. रेल डिब्बों के रख-रखाव से संबंधित गतिविधियों और उनकी साफ-सफाई के बाद वाशिंग लाइनों में इनकी पूरी जांच करने के बाद इन्हें बंद कर इसी अवस्था में प्लेटफॉर्म पर लाया जाना चाहिए।
10. कोच यार्डों और डिपो में उपयुक्त बुनियादी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
11. कोच डिपो और यार्डों में निगरानी प्रणाली भी लागू की जानी चाहिए।
12. यात्री क्षेत्रों और इसके आसपास अवैध रूप से बनाए गए अतिक्रमणों को कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए प्राथमिकता के आधार पर हटाया जाना चाहिए और रेलवे परिसरों में अनाधिकृत प्रवेश को बंद किया जाना चाहिए।
13. भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को निःशुल्क इंटरनेट सेवा प्रदान कर रही है। इस प्रकार की सेवाओं को प्रदान करने वाले ऑपरेटरों के साथ समन्वय कर यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि इस सेवा के माध्यम से पॉर्न साइटों को तो नहीं देखा जा रहा है।
14. रेलवे परिसरों में अवांछित/अनाधिकृत व्यक्तियों को पकड़कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और सभी रेलवे स्टेशनों, यार्डों और ऐसे अवांछित व असामाजिक तत्वों से मुक्त रखना चाहिए।
15. रेलवे स्टेशनों और रेलगाड़ियों में शराब पीने वाले व्यक्तियों को पकड़ने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए विशेष अभियान चलाए जा सकते हैं।
16. ऐसे अपराधों में लिप्त रेलवे स्टाफ के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।
17. महिलाओं के खिलाफ अपराध वाले मामलों में जब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं होता है तब तक ऐसे मामलों पर लगातार नज़र बनाए रखना जरूरी है।
लोगों को अपराधों के प्रति जागरूक करना
1. सभी रेलवे कर्मचारियों और संविदा स्टाफ को अपराधों के प्रति जागरूक करना। रोलिंग स्टाफ की जांच में लगे कर्मचारियों, कुलियों और फेरी वालों, विक्रेताओं को अपराध की किसी भी घटना की जानकारी बिना किसी देरी के पुलिस, आरपीएफ और स्टेशन मास्टर को देने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए गैर-सरकारी संगठनों की मदद भी ली जा सकती है।
2. आमतौर पर यह देखा गया है कि महिलाओं के प्रति छेड़छाड़ के मामलों की अगर शिकायत न की जाए तो बाद में ऐसे मामलों और महिलाओं के प्रति अपराधों में काफी इजाफा हो जाता है। इस प्रकार के अपराधों को रोकने के उपायों के तहत जीआरपी/आरपीएफ अधिकारियों को ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’ की कोई भी शिकायत मिलने के तुरंत बाद इस पर आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।
3. रेलगाड़ियों में ड्यूटी पर जाने से पहले और ड्यूटी समाप्त करने के बाद सुरक्षा कार्यों में लगे कर्मचारियों की पोस्ट कमांडर/ड्यूटी ऑफिसर और शिफ्ट प्रभारी द्वारा नियमित ब्रीफिंग की जानी जरूरी है।
4. सभी क्षेत्रीय रेलवे कार्यालय रेल यात्रियों को साफ-सफाई, महिलाओं का सम्मान करने, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के कानूनी प्रावधानों और इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए दंड संबंधी प्रावधानों के बारे में जागरूक बनाने के लिए नुक्कड़ नाटकों की मदद ली जा सकती है और इसके लिए सांस्कृतिक मंडली का भी उपयोग किया जा सकता है।
5. सभी विभागों में काम करने वाले रेलवे कर्मचारियों को महिलाओं एवं बच्चों के प्रति उनकी ड्यूटी तथा महिलाओं की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में जागरूक किया जाना चाहिए। उन्हें मुश्किल या संकटों का सामना करने वाली महिलाओं और बच्चों की पहचान करने, उनकी मदद करने, देखभाल और सुरक्षा करने के बारे में भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थानों/केन्द्रों में जहां रेलवे कर्मचारियों और आरपीएफ कर्मचारियों की शुरुआती/नियमित ट्रेनिंग होती है, उनमें विशेष जागरूकता कार्यक्रमों को शामिल किया जाना चाहिए।
6. महिलाओं के प्रति अपराध और छेड़छाड़ की घटनाओं के बारे में सामने आकर उन्हें खुलकर बताने के लिए महिलाओं को जागरूक बनाने की दिशा में विशेष जागरूकता सत्रों का आयोजन किया जा सकता है।
अपराधों के लिहाज से चिन्हित असुरक्षित क्षेत्रों की निगरानी
1. इस लिहाज से सीसीटीवी निगरानी प्रणाली का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ऐसे कैमरे जिन क्षेत्रों में लगाए गए हैं, उनकी समय-समय पर फुटेज की जांच भी की जानी चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि रेलवे प्लेटफॉर्म/यात्री क्षेत्रों में आने जाने वाले सभी लोग इन कैमरों के दायरों में हों।
2. अपराधों की दृष्टि से असुरक्षित क्षेत्रों में सीसीटीवी निगरानी प्रणाली अनिवार्य रूप से लगाई जानी चाहिए। सीसीटीवी कैमरों की लोकेशन या इनमें कोई बदलाव लाने के दौरान ऐसे क्षेत्रों को हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए।
3. प्लेटफॉर्म पर महिला डिब्बों की स्थिति को निर्धारित किया जाना चाहिए और प्लेटफॉर्म पर एक ऐसे बिंदु पर ये कैमरे विशेष रूप से लगाए जाने चाहिए ताकि ये डिब्बे उनके समुचित दायरों में आ सकें।
4. सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और इनसे जुड़ी अन्य संबंधित जानकारियों की जांच अधिकारियों द्वारा नियमित तौर पर की जानी चाहिए।
5. बलात्कार और मानव शरीर (महिलाओं) से संबंधित अन्य जघन्य अपराधों के लिए चिन्हित असुरक्षित क्षेत्रों की निगरानी में संबंधित आरपीएफ कार्यकारी स्टाफ के अलावा क्राइम इंटेलिजेंस ब्रांच और स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच का उपयोग किया जाना चाहिए।
6. किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले अपराधियों की निगरानी रखने के लिए‘यौन अपराधियों पर राष्ट्रीय डाटा बेस का उपयोग किया जा सकता है।
रेलगाड़ियों में इस प्रकार के अपराधों की रोकथाम के लिए अपनाए जाने वाले विशेष उपाय
रेलगाड़ियों में इस प्रकार के अपराधों की संभावनाओं कोखत्म करने के प्रयासों के बारे में सुरक्षा कार्यों में लगे कर्मचारियों को इसके बारे में समुचित जानकारी प्रदान करना, खासकर रात के समय उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
शौचालय सबसे आम स्थान हैं जहां अतीत में इस तरह की घटनाएं दर्ज की गई हैं और ऐसे में शौचालयों के पास लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाई जानी जरूरी है।
आमतौर पर कोच अटेंडेंट/एसी मैकेनिक रेल डिब्बों में प्रवेश और निकासी गेटों के समीप अपनी आबंटित सीटों पर रहते हैं जहां से पूरे कोच में निगरानी करने में मदद मिल सकती है। पुलिस के एस्कॉर्ट दस्ते, रेलगाडि़यों के भीतर संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने, उनकी जानकारी देने तथा इस प्रकार के अपराधों को कम करने बारे में जानकारी देने के लिए ऐसे कर्मचारियों और रेलगाड़ियों में लगातार घूमने वाले पैंट्री कार स्टाफ कोअपने भरोसे में ले सकते हैं।
रेल में यात्रा करने वाली अकेली महिलाओं और छोटे बच्चों को लेकर चलने वाली महिला यात्रियों की सुरक्षा ‘मेरी सहेली’पहल के तहत करने पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।
एस्कॉर्ट स्टाफ को यात्रियों खासकर महिलाओं के साथ विनम्र व्यवहार करने के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
रेलगाड़ियों के भीतर काम करने वाले सभी आउटसोर्स कर्मचारियों के पहचान पत्रों की जांच एवं उनकी क्रॉस चैकिंग ट्रेन कैप्टन/अधीक्षक को कहा जाना चाहिए। पीसीएससी/एसआरडीसीसी को वाणिज्य, इलैक्ट्रिक, एसएनपी और मैकेनिकल विभाग के अपने समकक्षों के साथ बेहतर समन्वय सुनिश्चित करना चाहिए तथा इस बात को भी सुनिश्चित करना है कि बाहर से लिए गए सभी स्टाफ कर्मचारियों को उपयुक्त पुलिस जांच के बाद ही काम पर रखा जाए और उनके पास पहचान पत्र हों। इसके अलावा इन विभागों को क्रॉस चैकिंग भी सुनिश्चित करनी चाहिए।
यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि रेल डिब्बों में लगे सीसीटीवी कैमरे और आपात प्रतिक्रिया प्रणाली पूरी तरह काम कर रही है और इनकी नियमित तौर पर देखभाल और जांच भी हो रही है।
आमतौर पर महिला यात्रियों के कोच रेलगाड़ी के अंत में ट्रेन गार्ड के समीप होते हैं और कई स्थानों पर ये प्लेटफॉर्म क्षेत्र से बाहर भी होते हैं। एस्कॉर्ट पार्टियों और स्टेशन आरपीएफ/जीआरपी स्टाफ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन स्टेशनों पर रेलगाड़ियां रुकती है वहां उनकी उपयुक्त जांच की जानी चाहिए।
रेलगाड़ियों और रेलवे यार्डों में सुरक्षा के कार्य में लगे स्टाफ को इस बात को लेकर सावधान रहना चाहिए कि जब रेलगाड़ी स्टेशन की ओर आती है या स्टेशन को छोड़ती है तो उस वक्त उसकी रफ्तार कम होती है और ऐसे में अपराधी चलती हुई रेलगाड़ी से प्राय: कूद जाते हैं। उन्हें इस यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ट्रेनों से कूदने वाले व्यक्तियों को पकड़कर पूरी पूछताछ की जाए और कुछ भी गलत पाए जाने पर आवश्यक कार्रवाई की जाए।
यात्रियों के लिए सूचना/नोटिस
ट्रेन की टिकटों के पिछले हिस्से पर हेल्पलाइन नम्बरों की पूरी जानकारी मुद्रित की जाती है और इसके अलावा रेलवे द्वारा दिए गए हेल्पलाइन नम्बरों का व्यापक रूप से प्रचार किया जाना चाहिए।
लोगों को राष्ट्रीय स्तर पर आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली और अन्य महत्वपूर्ण फोरम तथा उस क्षेत्र में महिलाओं के खिलाफ विशेष रूप से अपराधों के बारे में जानकारी देने के लिए उपलब्ध सुविधाओं के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
लोगों को वन स्टाप सेंटर के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए जो विशेष रूप से विभिन्न प्रकार की एकीकृत सेवाओं जैसे चिकित्सा सहायता, पुलिस सहायता, कानूनी सलाह, अदालतों में मामलों के प्रबंधन, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक काउंसलिंग और हिंसा से प्रभावित महिलाओं को अस्थायी तौर पर आश्रय प्रदान करने के लिए ही बनाया गया है।
यात्रियों को महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बारे में जागरूक बनाने के लिए उचित विज्ञापनों को विभिन्न प्लेटफॉर्म जैसे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया आदि पर प्रकाशित किया जाना चाहिए।
भारतीय रेलवे की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों में सभी क्षेत्रीय रेलवे और उत्पादन इकाइयों को सलाह दी गई है कि ये दिशा-निर्देश केवल निर्देशात्मक हैं और विस्तृत नहीं है तथा क्षेत्रीय इकाइयां सक्रिय उपाय अपनाकर स्थानीय परिस्थितियों और जरूरतों के अनुसार महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अन्य प्रणालियों को लागू कर सकती हैं।
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